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Sunday, May 5, 2024

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संयुक्त राष्ट्र संघः भारत में नया नागरिकता क़ानून मुस्लिम विरोधी और मूल रूप से भेदभावपूर्ण है

देश-विदेश – संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत में नए नागरिकता क़ानून को मूल रूप से भेदभावपूर्ण क़रार देते हुए इसमें सुधार की मांग की है।

इस विवादित नागरिकता संशोधन बिल के क़ानून में परिवर्तित होने के बाद, पूरे देश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं और भारत सुलग रहा है।

ग़ौरतलब है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का दावा है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के हिंदुओं को संरक्षण देने के लिए नागरिकता क़ानून में बदलाव किया गया है, लेकिन इसी के साथ इसमें मुसलमानों को नज़र अंदाज़ कर दिया गया है।

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विश्लेषकों का मानना है कि नया नागरिकता क़ानून भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की योजना की महत्वपूर्ण कड़ी है। क्योंकि बीजेपी सरकार पहले ही एलान कर चुकी है कि इसके बाद देश में भर में एनआरसी या राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू किया जाएगा।

इससे पहले एनआरसी के तहत असम राज्य में क़रीब 20 लाख लोग नागरिकता से हाथ धो बैठे हैं, लेकिन नए क़ानून के बाद इनमें शामिल 10 लाख से अधिक हिंदुओं को नागरिकता दे दी जाएगी और बाक़ी बचे मुसलमानों को डिटेंशन कैम्पों में डाल दिया जाएगा। अगर यही कहानी पूरे भारत में दोहराई जाती है तो करोड़ों मुसलमानों को नागरिकता से हाथ धोना पड़ सकता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार प्रवक्ता जेर्मी लॉरेंस ने भारत के नए नागरिकता क़ानून पर चिंता जताते हुए कहाः हमें इस बात की चिंता है कि नया नागरिकता क़ानून 2019, बुनियादी तौर से भेदभावपूर्ण है।    

उन्होंने कहा कि नए क़ानून में धार्मिक आधार पर मुसलमानों को वह सुविधा नहीं दी गई है, जो अन्य धर्म के मानने वाले प्रवासियों को दी गई है। यह भारतीय संविधान के ख़िलाफ़ है, जो सभी को समानता प्रदान करता है।

लॉरेंस का कहना था कि हमें आशा है, भारतीय सुप्रीम कोर्ट इसकी समीक्षा करेगा और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार अधिकारों के प्रति भारत के दायित्वों को ध्यान में रखते हुए इस क़ानून पर सावधानीपूर्वक विचार करेगा।

नए नागरिकता क़ानून के बाद राजधानी समेत पूरे भारत में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं और छात्रों समेत बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर हैं।

इस बीच जापानी प्रधान मंत्री ने भी भारत की अपनी यात्रा रद्द कर दी है।

द गार्डियन से बात करते हुए गुहाटी में तैनात एक मुस्लिम पुलिसकर्मी ने अपना नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि वह मूल से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और क़रीब पिछले 30 साल से असम पुलिस में कार्यरत है। पुलिसकर्मी का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से एक मुसलमान के रूप में शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करना बड़ा कठिन हो गया है। बीजेपी ने देश को गटर बना दिया है। वह इसे हिंदू राष्ट्र घोषित करना चाहते हैं। कभी कभी मैं पुलिस में काम करने के बावजूद डर जाता हूं।

साभार पी.टी.

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