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Friday, May 3, 2024

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सऊदी अरब के साथ दोस्ती के लिए ईरान ने रखी शर्त

रिपोर्ट – सज्जाद अली नायाणी

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ का कहना है कि ईरान, सऊदी अरब का दोस्त बन सकता है, अगर वह आम लोगों का जनसंहार बंद करके क्षेत्रीय मुद्दों का वार्ता की टेबल पर समाधान निकाले।

विदेश – ग़ौरतलब है कि सऊदी क्राउन प्रिंस ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ इंटरव्यू में कहा थाः ईरान के साथ तनाव कम करने के लिए उन्होंने इराक़ी और पाकिस्तानी नेताओं को ज़िम्मेदारी सैंपी है।

मंगलवार को एक इंटरव्यू में ज़रीफ़ ने सऊदी क्राउन प्रिंस के इस बयान की ओर इशारा करते हुए कहाः वर्तमान परिस्थितियों में सऊदी अरब, ईरान के साथ बातचीत करने में रूची रखता है, अगर वे लोगों की हत्याएं करने के बजाए क्षेत्रीय मुद्दों को वार्ता की टेबल पर उठाते हैं, तो निश्चित रूप से इस्लामी गणतंत्र उनके साथ खड़ा हो जाएगा।

सऊदी अरब पिछले साढ़े चार वर्षों से यमनी जनता का जनसंहार कर रहा है, जबकि यमन संकट का समाधान वार्ता द्वारा किया जा सकता था।

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, तेहरान हमेशा से ही अपने पड़ोसियों के साथ क्षेत्र की शांति व सुरक्षा में सहयोग के लिए तैयार है और हमने आधिकारिक रूप से भी घोषणा की है।

ज़रीफ़ का कहना था, ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने राष्ट्र संघ महासभा में होरमुज़ शांति योजना का प्रस्ताव पेश किया था और क्षेत्रीय संकटों के लिए विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप को ज़िम्मेदार बताया था।

सऊदी अरब, क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में ईरान को सबसे बड़ी रुकावट के रूप में देखता रहा है, यही वजह है कि उसने अमरीका और इस्राईल के साथ मिलकर ईरान के मित्र देशों सीरिया, इराक़, यमन और लेबनान को निशाना बनाया और इन देशों की सरकारों को गिराने का प्रयास किया या उन्हें कमज़ोर करने की कोशिश की।

लेकिन ईरान विरोधी शक्तियों के समस्त प्रयासों के बावजूद ईरान और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों की स्थिति दिन-ब-दिन मज़बूत हो रही है, जिसके कारण सऊदी अरब और उसके सहयोगी बैक-फ़ुट पर आ गए हैं।

तेहरान ने यमन और सीरिया संकटों समेत तमाम क्षेत्रीय मुद्दों को पहले भी कई बार वार्ता द्वारा हल करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अमरीका और उसके सहयोगी ताक़त के बल पर इन मुद्दों का समाधान निकालने पर अड़े हुए थे। लेकिन जून में ईरान द्वारा अमरीका के आधुनिक ड्रोन विमान ग्लोबल हॉक को मार गिराए जाने और 14 सितम्बर को सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर यमनियों के हमलों ने क्षेत्र में शक्ति का संतुलन पूरी तरह से बदल गया और इसी के साथ अमरीका और सऊदी अरब का टोन भी बदल गया है।

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