संपादक की कलम से –
वीरों के बलिदान से, आजादी हमने पाई ।
बधाई हो बधाई, गणतंत्र की बधाई ॥
शहीदों की कुर्बानी को, ये धरती भूल न पाई ।
बधाई हो बधाई, गणतंत्र की बधाई ॥
वीरों की बसुन्धरा ने, खुलकर ली अंगड़ाई ।
बधाई हो बधाई, गणतंत्र की बधाई ॥
ये वो पावन दिन था, जब संविधान की शक्ति पाई ।
बधाई हो बधाई, गणतंत्र की बधाई ॥
आज के पावन पर्व को, हम सबने मिलकर है मनाई ।
बधाई हो बधाई, गणतंत्र की बधाई ॥
वीरों के बलिदान से, आजादी हमने पाई ।
बधाई हो बधाई, गणतंत्र की बधाई ॥
– रवि जी. निगम
( संपादक – मानवाघिकार अभिव्यक्ति )