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Monday, May 27, 2024

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सीमा पार आतंकवाद का तीन दशकों से होते रहे शिकार, PAK को भारत की UN में लताड़

भारत ने गुरुवार को कहा कि वह लगभग पिछले तीन दशकों से राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है। भारत ने पाकिस्तान पर स्पष्ट रूप से हमला करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद की सामाजिक-आर्थिक और मानवीय कीमत से अच्छी तरह परिचित है। भारत ने यह आशा भी व्यक्त की कि इस महीने के अंत में उसकी मेजबानी में हो रही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवाद रोधी समिति की एक विशेष बैठक एक वैश्विक ताना बाना बनाने की दिशा में सकारात्मक योगदान देगी जो खुले, विविध और बहुलतावादी सामाजों के खिलाफ आतंकवादियों और उसके समर्थकों द्वारा तैनात नए तकनीकी उपकरणों के लिए प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया करता है

भारत वर्तमान में वर्ष 2022 के लिए सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति का अध्यक्ष है और मुंबई और नयी दिल्ली में 28-29 अक्टूबर को होने वाली आतंकवाद-निरोध पर एक विशेष बैठक के लिए अमेरिका, चीन और रूस सहित संयुक्त राष्ट्र संघ के 15 देशों के राजनयिकों की मेजबानी करेगा। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बृहस्पतिवार को कहा, ”इस वर्ष आतंकवाद निरोधी समिति के अध्यक्ष के रूप में भारत इस महीने के अंत में 28-29 अक्टूबर को मुंबई और नई दिल्ली में उसकी (समिति की) विशेष बैठक की मेजबानी करेगा।” 

गैबॉन की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चर्चा, ‘अफ्रीका में शांति और सुरक्षा: प्राकृतिक संसाधनों की अवैध तस्करी के माध्यम से सशस्त्र समूहों और आतंकवादियों के वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करना’, को संबोधित करते हुए मुरलीधरन ने सदस्य देशों को आगामी बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली के निमंत्रण को दोहराया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विशेष बैठक एक वैश्विक स्थिति बनाने की दिशा में सकारात्मक योगदान देगी, जो उद्देश्य के लिए उपयुक्त है और खुले, विविध और बहुलतावादी समाजों के खिलाफ आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा तैनात नए तकनीकी उपकरणों का प्रभावी ढंग से जवाब देती है।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा, ”नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग से उत्पन्न बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवाद रोधी समिति ने अपने कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के समर्थन से इस विषय पर एक विशेष बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है।” मुरलीधरन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत सबसे आगे रहा है। उन्होंने कहा, ”एक ऐसे देश के रूप में जो पिछले तीन दशकों से खुद राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है, भारत आतंकवाद की सामाजिक-आर्थिक और मानवीय लागत से पूरी तरह अवगत है।”

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