रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने
विदेश – ऑस्ट्रेलियाई लेखक एवं शोधकर्ता एंडरसन ने “डर्टी वॉर” नामक एक किताब को संकलित किया है। उनके द्वारा संकलित की गई यह पुस्तक 13 अध्याय पर अधारित है। उनकी इस किताब के एक अध्याय में “सीरिया युद्ध में अमेरिकी साज़िशों का उलटा परिणाम, सीरिया की जीत, ईरान हुआ अधिक शक्तिशाली” के संबंध में कुछ दिलचस्प बातें लिखी गईं हैं।
एंडरसन ने अपनी डर्टी वॉर नामक किताब के माध्यम से सीरिया युद्ध को लेकर कई अहम बातें लिखी हैं। उन्होंने सीरिया युद्ध के संबंध में जो बात सबसे पहले लिखी है उसका शीर्षक है, “डर्टी वॉर सीरिया, शासन परिवर्तन और प्रतिरोध” इसके माध्यम से एंडरसन ने यह बताने का प्रयास किया है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों का सीरिया संकट में क्या रोल था और इन देशों ने सीरिया सरकार के ख़िलाफ़ षड्यंत्र करके कैसे इस देश में हस्तक्षेप किया और इन्हीं देशों के कारण कैसे सीरिया के लगभग 1 मिलयन लोगों का नरसंहार हुआ।
डर्टी वॉर किताब में सबसे पहले जिस बात का उल्लेख किया है वह है साम्राज्यवादी पश्चिमी देशों का सीरिया में हस्तक्षेप और मध्यपूर्व में पश्चिमी देशों की षड्यंत्रकारी योजनाएं। जैसे के सभी जानते हैं कि पश्चिमी देश स्वयं को दुनिया का सबसे उच्च सभ्यता वाला बताने का प्रयास करते हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा अन्य देशों पर अपने साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को लागू करने का काम किया है। इस बीच अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ युद्ध के बाद पश्चिमी देशों की वर्चस्ववादी नीतियों में बदलाव आया है। इस बीच शक्तिशाली पश्चिमी देशों ने अपनी नई नीति के तहत मध्यपूर्व के देशों में साम्प्रदायिकता और चरमपंथ को सरकारों के ख़िलाफ़ बढ़ावा दिया। इसी के अंतर्गत उन्होंने अरब स्प्रिंग नामक एक आंदोलन आरंभ करवाया। वास्तव में अरब स्प्रिंग, पश्चिमी देशों की एक सोची समझी साज़िश थी जो उन्होंने लीबिया से आरंभ किया था। दुनिया ने देखा कि कैसे अरब स्प्रिंग को कामयाब करने के लिए नाटो ने लीबिया पर बम बरसाए और अंत में इस पूरे आंदोलन को आतंकवादी गुट अल-क़ाएदा से जुड़े सशस्त्र गुटों के हवाले कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप जो लीबिया अफ़्रिक़ी देशों में विकासशील देश माना जाता था वही इस झूठी क्रांति के कारण दसियों वर्ष पीछे चला गया।