– रवि जी. निगम
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून पर सुनवाई के दौरान सरकार को झटका देते हुए कहा है कि किसानों को अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है, साथ ही कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या इन कानूनों को अमल करने पर रोका जा सकता है ?
कोर्ट ने कहा कि वो ऐसे विवादास्पद कृषि कानूनों के संबंध में किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों की एक निष्पक्ष व स्वतंत्र समिति गठित करने पर विचार कर रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि इस समिति का गठन कुछ इस प्रकार से होगा जिसमें किसान संगठनों के प्रतिनिधियों तथा सरकार और पी साइनाथ आदि विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा जो इन कानूनों को लेकर गतिरोध व्याप्त है उसका हल खोजेंगे।
पीठ ने आगे कहा कि ‘‘हम मानते हैं कि किसानों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन ये अहिंसक होना चाहिए।’’ वहीं कानून की वैधता पर उठ रहे सवाल पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि “विरोध प्रदर्शन का तभी मकसद हासिल किया जा सकेगा जब किसान और सरकार बीच वार्ता हो और हम इस अवसर को प्रदान करना चाहते हैं।’’
पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही स्पष्ट कर दिया कि ‘‘आज हम कानून की वैधता पर फैसला नहीं करने जा रहे, हम आज केवल विरोध प्रदर्शन और निर्बाध आवागमन के मुद्दे पर ही विचार करेंगे।’’ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा लंबे समय से किये जा रहे आन्दोलन व धरना प्रदर्शन के कारण आवागमन में आ रही दिक्कतों को लेकर न्यायालय दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इन याचिकाओं के माध्यम से किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने का अनुरोध किया गया है।