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हाथरस गैंगरेप – यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में बोली, हिंसा भड़कने की आशंका के चलते पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में करना पड़ा….?? जिस पर जनता के सवाल…

-रवि जी. निगम

आपकी अभिव्यक्ति (जनता की आभिव्यक्ति)

सामाजिक कार्यकर्ता / संपादक

जनता के सवाल – हाथरस गैंगरेप पर जो पृष्ठभूमि यूपी सरकार द्वारा तैयार की जा रही है वो क्या पूर्व नियोजित नहीं लगती है ? क्या ये सवालियां निशान उठ खडा नहीं होता है कि क्या जो आशंका पीडित परिवार ने वीडियो जारी कर जाहिर की थी, कि जिले के डीएम महोदय द्वारा पीडित परिवार को धमकाया गया था “मीडिया आज है………. कल को हम बदल गये तो……..?? तो आज वो सच साबित नहीं होती नज़र आ रही है ? क्या ऊपर वाले के इशारे पर ही ये घटना को गढा गया था ? आखिर उस ऊपर वाले का खुलाशा क्यों नहीं किया जा रहा है ? उस पर कार्यवाही करने से क्यों डर रहें हैं ?

साथ ही जनता ये भी जानना चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट को जो बताया गया है कि “हिंसा भड़कने की आशंका को देखते हुए हाथरस की पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में करना पड़ा”, तो क्या सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में वो नहीं आ रहा होगा जो पीडित परिवार मीडिया के माध्यम से जो संवाद कर रहा है ? कि परिवार को पीडिता का पार्थव शरीर उसे सौंपा ही नहीं गया, यहाँ तक उसकी मां आंचल फैला-फैला व रो-रोकर अपनी बच्ची के पार्थव शरीर को मांगती दिखाई गयी, तो क्या वो मीडिया ने झूठ दिखाया, माना हिंसा फैलाने की आशंका के चलते अर्धरात्रि के समय में मृतिका के पार्थव शरीर का अंतिम संस्कार रात में करने का निर्णय लेना पडा, सवाल तो अब ये उठता है कि जब हमारे पास इतनी मजबूत इंटेलिजेंस थी तो उसकी रिपोर्ट के अनुसार पुख्ता इंतजामात करने की आवश्यकता थी कि नहीं ? तो इसे परिवार के साथ साझा कर कडी सुरक्षा में पीडित परिवार को उसकी बेटी के अंतिम संस्कार को उसके रीति-रिवाज़ ही नहीं हिंदू रीति-रिवाज़ से क्योंकर कराने की व्यवस्था नहीं की गयी ? जबकि भाग्यवश प्रदेश के मुखिया भी हिंदू समाज के प्रखर नेता माने जाते हैं इतना ही नहीं वो एक तपस्वी, योगी भी हैं और उनके रहते यदि ‘इंटेलिजेंस अलर्ट’ की दुहाई दी जा रही है कि हिंसा भडकाने की कोशिस की जा रही थी जिसके चलते ये कदम उठाया गया तो….?

तो हुज़ूर ये भी बताइयेगा कि प्रात:काल से ही जो परिंदा भी पर न मार पाये इतना सख्त पहरा, पूरे गांव को छांवनी में तप्दील कर दिया गया, यहाँ तक मीडिया को भी एसआईटी जांच का हवाला देकर हलने (घुसने) तक नहीं दिया गया जबकि एक मीडिया हाऊस ने यहाँ तक बताया कि वो उस रात्रि परिवार के साथ महज़ूद था, और उसने पीडित परिवार का सच भी दिखाया था कि किस तरह से पीडित परिवार के साथ अन्याय व अत्याचार घटित हुआ, तो वो भी क्या झूंठ था ? काश ! यही व्यवस्था सब अंतिम संस्कार के लिये की गयी होती तो उस पीडित परिवार का विश्वास जीता नहीं जा सकता था ? क्या जितनी ताक़त पीडित परिवार को अपने पक्ष में करने के लिये धमकाने में झोंक दी गयी, उन हिंसा की साजिश करने वालों के खिलाफ़ झोंकी गयी होती तो क्या परिवार को उसके मूलभूत / मौलिक अधिकारों से वंचित करना पडता, तो क्या ये गलत निर्णय होता ? जिसके बाद ऊपर वाला प्रकट हो गया, तो काश ! इस ऊपर वाले ने परिस्थितियों को भांप समय रहते संज्ञान ले लिया होता तो क्या ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई होती ? तो सायद नहीं… लेकिन आप तो ठहरे ऊपर वाले तो नीचे वाले की आपको इतनी चिंता क्यों करनी ? क्योंकि ऊपर वाले का कोई क्या बिगाड लेगा ? “हुज़ूर यही सच है न” नहीं तो अब तक ऊपर वाले के ऊपर कार्यवाही नहीं की गयी होती ? कोई बात नहीं “मेरा देश महान है”….. कुछ दिनों बाद सब भूल जायेगा! है न प्रभु ?

अब आज जो पीडिता के परिजन पर ‘ऑनर किलिंग’ का आरोप लगा रहे हैं जब पीडिता की मृत्यु हो गयी है तब जब उसे अर्धरात्रि में परिवार को मौलिक अधिकार से वंचित कर उसका अंतिम संस्कार भी कर डाला गया हो तब ? जब पीडिता जिंदा थी और उसने आरोप लगाया था और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था तो उस समय क्या आरोपी पक्ष ने आरोप के विरूद्ध किसी न्यायालय में अपील की थी या मामला पंजीकृत कराया है ? यदि नहीं तो आखिर किस समय का इंतजार किया जा रहा था ? अब ये आरोप पीडिता के मरने के इतने दिनों के बाद जब उठाया जा रहा है तब जब मामला उलझ गया और सरकार सवालों के घेरे आ रही है और इतना ही नहीं, इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया है और प्रदेश के आला अधिकारियों तक को समन व जिले के डीएम, एसपी आदि को भी नोटिस जारी किया है तब उसके बाद ? धन्य हैं ऊपर वाले…!!!

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि हिंसा भड़कने की आशंका को देखते हुए हाथरस की पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में करना पड़ा। यूपी सरकार की ओर से इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला दिया गया और बताया गया कि ऐसी सूचना मिली थी सुबह होते ही बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क सकती थी।

बाबरी मस्जिद के फैसले का हवाला
सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामा मे यूपी सरकार ने अगले दिन बाबरी मामले में आने वाले फैसले का भी हवाला दिया और कहा कि इस वजह से पूरे सूबे में हाई अलर्ट था। यूपी सरकार ने साथ ही कहा है कि कथित गैंगरेप मामले में जांच को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है।

मिल रहे थे इंटेलिजेंस अलर्ट
यूपी सरकार की ओर से कहा गया, ‘सफदरजंग अस्पताल में जिस तरह धरना प्रदर्शन किए जा रहे थे और पूरे मामले को जातिगत / सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा था, उसके बाद से हाथरस के जिला प्रशासन को 29 सितंबर की सुबह से ही कई इंटेलिजेंस अलर्ट मिल रहे थे।

परिवार की मर्ज़ी से हुआ अंतिम संस्कार
यूपी सरकार ने इस बात का भी अपने हलफनामे में जिक्र किया है कि अंतिम संस्कार के लिए परिवार को तैयार कराया गया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ये हलफनामा कोर्ट में ये कहते हुए दायर किया गया है कि मामले की सीबीआई जांच के निर्देश जरूर दिए जाने चाहिए। हलफनामे में ये भी कहा गया है कि कोर्ट को सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए।

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