हमास और इस्राइल एक साल से अधिक समय जंग लड़ रहे हैं। इस्राइल द्वारा हमास को खत्म करने का संकल्प गाजा पट्टी के लोगों पर भारी पड़ रहा। यह शहर मलबों के ढेर में तब्दील हो गया है। वहीं, हमास भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चौंकाने वाला दावा किया। उसने बताया कि 15 महीने से चल रहे युद्ध में अब तक 46,000 से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए हैं। फिलहाल इस युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कुल 46,006 फलस्तीनी मारे गए हैं। जबकि 1,09,378 लोग घायल हुए हैं। मंत्रालय ने कहा कि मारे गए लोगों में आधे से अधिक महिलाएं और बच्चे हैं। हालांकि, यह नहीं बताया कि मरे हुए लोगों में कितने सैनिक थे और कितने आम नागरिक।
हमास पर इस्राइल का बड़ा आरोप
इस्राइली सेना का कहना है कि उसने 17,000 से ज्यादा हमास के लड़ाकों को मार गिराया है। मगर इसका कोई प्रमाण नहीं दिया। उनका कहना है कि वे नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं। इसके लिए वह कोशिश भी बहुत करते हैं। लेकिन हमास आवासीय इलाकों में रहकर काम करता है, जिससे नागरिक चपेट में आ जाते हैं। बता दें, इस्राइल ने अस्पतालों और शरण स्थलों पर भी हमला किया है, जिसमें महिलाएं और बच्चे मारे गए हैं।
यह है मामला
हमास ने सात अक्तूबर 2023 को इस्राइली शहरों पर पांच हजार से ज्यादा रॉकेट दागकर हमले की शुरुआत की थी। इसके बाद हमास के आतंकियों ने इस्राइल में घुसकर लोगों को मौत के घाट उतारा। इसके जवाब में इस्राइल ने हमास आतंकियों के खिलाफ गाजा में ऑपरेशन शुरू किया था। इस ऑपरेशन में गाजा स्थित हमास के ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की गई है, जिससे अधिकतर गाजा खंडहर में तब्दील हो गया है। उस समय हमास ने इस्राइल में हमला कर करीब 1,200 लोगों को मार डाला और 250 लोगों को अगवा कर लिया था। अब भी करीब 100 बंधक गाजा में हैं, जिनमें से इस्राइल का मानना है कि एक तिहाई बंधक हमले में मारे गए थे या कैद में मारे गए।
लाखों लोग तंबू में रहने को मजबूर
युद्ध ने गाजा के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया है और करीब 90 फीसदी लोग विस्थापित हो गए हैं। लाखों लोग तंबू में रह रहे हैं और भोजन एवं अन्य जरूरी सामान की भारी कमी है।
हम जो जी रहे वह…
हाल के हफ्तों में इस्राइल और हमास के बीच युद्धविराम और बंधकों की रिहाई को लेकर बातचीत के संकेत मिल रहे थे, लेकिन मध्यस्थ देशों अमेरिका, कतर और मिस्र के बीच कई बार बातचीत रुक चुकी है। अभी भी कई बड़ी बाधाएं बनी हुई हैं। एक विस्थापित महिला मुनावर अल-बिक ने कहा कि जो हम जी रहे हैं, वह ज़िंदगी नहीं है। कोई भी इस हालत को एक दिन भी नहीं सहन कर सकता।
वह कहती हैं, ‘हम रात को जागते हैं और पुरुषों के रोने की आवाजें सुनते हैं, क्योंकि हालात बहुत बुरे हैं। यह स्थिति असहनीय हो गई है। हमारे पास अब कोई ताकत नहीं बची है, हम चाहते हैं कि यह आज ही खत्म हो जाए।’
अल-बिक खान यूनिस शहर की एक धूल भरी सड़क पर खड़ी थीं, जहां एक नष्ट बिल्डिंग के पास कई तंबू लगे हुए थे, जिनमें विस्थापित परिवार रह रहे थे।