Article 370 विपक्ष के हंगामे के बीच राज्य सभा में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के लिए सोमवार को ऐतिहासिक बदलाव की पेशकश की। उन्होंने यहां से अनुच्छेद 370 व 35(ए) हटाने की सिफारिश की। इसके अनुसार, जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। लद्दाख भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को लोकसभा में मंगलवार को पेश किया जाएगा। वहीं लोकसभा में आज ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 पारित कराया गया।
– जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर राज्यसभा में पास हो गया है। बिल के समर्थन में 125 वोट पड़े, जबकि विरोध में 61 वोट पड़े।
– जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर राज्यसभा में वोटिंग जारी है। तकनीकी खराबी के चलते मशीन से वोटिंग नहीं हो रही है। सभी सदस्यों को पर्ची बांटी जा रही है।
– जम्मू और कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019, राज्यसभा में ध्वनी मत से पारित किया गया। यह विधेयक जम्मू और कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण देगा।
– हम घाटी के युवाओं को गले लगाना चाहते हैं उनको अच्छी शिक्षा और अच्छा भविष्य, अच्छी स्वास्थ्य की सुविधाएं और रोजगार देना चाहते हैं। भारत के अंदर जिस प्रकार से विकास हुआ है उसी तरह से कश्मीर में विकास हो इसके लिए आर्टिकल 370 को निकालना जरूरी है। अमित शाह
– जो लोग कश्मीर के युवाओं को उकसाते हैं उनके बेटे-बेटियां लंदन, अमेरिका में पढ़ाई करते हैं। उनको चिंता नहीं है क्योंकि उन्होंने तो सब अच्छे से कर लिया। मगर घाटी के युवा को आज भी अनपढ़ रखने, उनका विकास न करने के लिए आर्टिकल 370 बहुत बढ़ी बाधक है- अमित शाह
– 370 के कारण आज तक 41,894 लोग जम्मू कश्मीर में किस की पॉलिसी के कारण मारे गए? जवाहर लाल नेहरू जो पॉलिसी चालू करके गये वो ही पॉलिसी अभी तक चल रही है, फिर इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है?- अमित शाह
– हुर्रियत, आईएसआई, घुसपैठिए इन सब लोगों ने कश्मीर के युवाओं को गुमराह किया है। 1990 से लेकर 2018 तक 41,894 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। आतंकवाद जन्मा, बढ़ा, पनपा और चरम सीमा पर पहुंचा, इसका कारण आर्टिकल 370 है- अमित शाह
– जवाहरलाल नेहरू जी ने भी कहा था ‘370 घिसते-घिसते घीस जाएगी, मगर 370 को इतना जतन से संभलकर रखा, 70 साल हो गए, लेकिन घिसी नहीं।
– 370 के कारण जम्मू कश्मीर में देश का कोई बड़ा डॉक्टर नहीं जाना चाहता, क्योंकि वहां वो अपना घर नहीं खरीद सकता, वहां का मतदाता नहीं बन सकता और वहां खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करता। 370 आरोग्य में भी बाधक है- अमित शाह
– आर्टिकल 370 के कारण जम्मू और कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी बड़ी कंपनियां नहीं जा सकती। ये कंपनियां वहां गई तो वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़ी कंपनियां वहां गईं तो पर्यटन बढ़ेगा, लेकिन 370 के कारण ये संभव नहीं है- अमित शाह
– आर्टिकल 370 और 35A हटाने से घाटी का, जम्मू का, लद्दाख का भला होने वाला है। आर्टिकल 370 और 35A हटने के बाद जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बनने वाला है- अमित शाह
– हम तो राष्ट्र हित का बिल लेकर आएं हैं। आपने इंदिरा जी को इलाहाबाद के जजमेंट से बचाने का संवैधानिक सुधार उसी दिन लाकर, उसी दिन पारित करके देश की डेमोक्रेसी को खत्म किया था और आज हमें उपदेश देते हैं- अमित शाह
– भारत सरकार ने हजारों करोड़ रुपये जम्मू और कश्मीर के लिए भेजे, लेकिन वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए, 370 का उपयोग करके वहां भ्रष्टाचार को कंट्रोल करने वाले कानून लागू नहीं होने दिए गए। जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधक भी आर्टिकल 370 है। शिक्षा के लिए यहां के बच्चों को देशभर के शिक्षा संस्थानों पर जाना पड़ता है इसका भी कारण 370 है- अमित शाह
– राष्ट्रपति शासन के बाद वहां चुनाव हुए और आज 40 हजार पंच-सरपंच वहां के विकास में योगदान दे रहे हैं। 40 हजार पंच-सरपंच का अधिकार 70 साल तक जम्मू कश्मीर के लोगों से ले लिया। इसका जिम्मेदार है अनुच्छेद 370 था- अमित शाह
– आर्टिकल 370 के कारण जम्मू कश्मीर में कभी भी लोकतंत्र प्रफुल्लित नहीं हुआ। आर्टिकल 370 और 35A के कारण भ्रष्टाचार फला-फूला, पनपा और चरम सीमा पर पहुंचा। आर्टिकल 370 और 35A के कारण ही गरीबी घर कर गई- अमित शाह
– आर्टिकल 370 अस्थाई था और इसे कभी न कभी हटना था, लेकिन पिछली सरकारों ने वोट बैंक के लिए इसे हटाने की हिम्मत नहीं की। कैबिनेट ने आज हिम्मत दिखाकर और जम्मू कश्मीर के लोगों के हित के लिए यह फैसला लिया है- अमित शाह
– मैं आज सदन के सामने जम्मू कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक संकल्प और बिल लेकर उपस्थित हुआ हूं। मैं सदन के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर में एक लंबे रक्तपात भरे युग का अंत अनुच्छेद 370 हटने के बाद होने जा रहा है- अमित शाह
– हम धर्म की राजनीति में विश्वास नहीं करते, वोटबैंक की राजनीति क्या है? कश्मीर में केवल मुसलमान रहते हैं? आप क्या कहना चाहते हैं? मुस्लिम, हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध सभी वहां रहते हैं। यदि 370 अच्छा है तो यह सभी के लिए अच्छा है, यदि यह बुरा है तो यह सभी के लिए बुरा है- राज्यसभा में अमित शाह
– केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि अभी तक एक देश में दो संविधान, दो निशान और दो प्रधान चल रहा था। इस ऐतिहासिक कदम से देश भर में खुशी का माहौल है क्योंकि 70 सालों से कश्मीरियों के साथ जो अन्याय हो रहा था वह आज जाकर खत्म हुआ है।
– सपा के आरजी यादव ने कहा,’यदि आप अनुच्छेद 370 को हटाना चाहते हैं तब आपको केवल वही करना चाहिए, आपने इसे केंद्रशासित प्रदेश क्यों बना दिया। विश्व का इतिहास गवाह है कि जब भी लोगों को दबाने का प्रयास किया गया असफल रहा। आपको कम से कम जनता का विश्वास तो हासिल करना चाहिए था।’
कश्मीर मामले पर लिए गए इस फैसले को लेकर विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया। पीडीपी के सांसदों ने तो अपने कपड़े फाड़ दिए और तो और संविधान के भी दो टुकड़े कर दिए जिसके बाद सदन में मार्शल को बुलाया गया और उन्हें बाहर किया गया। इसके अलावा राज्य सभा में सीपीएम सांसद टीके रंगराजन ने कहा कि यह काला दिन है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के लोगों से सलाह नहीं ली, विधानसभा भंग कर दी। इस तरह सरकार एक और फिलिस्तीन बना रही है। वहीं डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के लोगों से मशविरा किए बिना अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है। लोकतंत्र की हत्या हुई है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक सीमावर्ती राज्य, जो सांस्कृतिक, भौगोलिक रूप से, ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से अलग था, अनुच्छेद 370 द्वारा एक साथ बंधे थे। सत्ता में नशे में और वोट पाने के लिए, भाजपा सरकार ने 3-4 चीजें खत्म कर दीं।
राष्ट्रपति की मंजूरी
गृह मंत्री ने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत जिस दिन से राष्ट्रपति द्वारा इस सरकारी गैजेट को स्वीकार किया जाएगा, उस दिन से अनुच्छेद 370 (1) के अलावा अनुच्छेद 370 के कोई भी खंड लागू नहीं होंगे। इसमें सिर्फ एक खंड रहेगा।’ इस बदलाव को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी दे दी गई है। गृह मंत्री ने कहा, ‘देश के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370(3) के तहत पब्लिक नोटिफिकेशन से अनुच्छेद 370 को सीज करने के अधिकार हैं। जम्मू-कश्मीर में अभी राष्ट्रपति शासन है, इसलिए जम्मू-कश्मीर असेंबली के सारे अधिकार संसद में निहित हैं। राष्ट्रपति जी के आदेश को हम बहुमत से पारित कर सकते हैं।’
गृह मंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का विधेयक पेश किए जाने के बाद राज्य सभा में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या कर दी है।’
बसपा, बीजद, AIADMK का समर्थन, लेकिन इन्होंने जताया विरोध
राज्यसभा में ‘लोकतंत्र की हत्या नहीं चलेगी’ के नारे लगाए गए। एआइएडीएमके सांसद नवानीथाकृष्णन ने कहा,’ अम्मा संप्रभुता व अखंडता के लिए जानी जाती हैं। इसलिए AIADMK पार्टी पुनर्गठन व आरक्षण विधेयकों का समर्थन करती है। बीजद सांसद प्रसन्न आचार्या ने कहा, ‘हकीकत में आज जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना है। मेरी पार्टी इसका समर्थन करती है। हम क्षेत्रीय दल हैं, लेकिन हमारे लिए पहले राष्ट्र है।‘ बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, ‘हमारी पार्टी की ओर से पूरा समर्थन है। हम चाहते हैं कि यह विधेयक पारित हो जाए। हमारी पार्टी किसी तरह का विरोध नहीं दर्ज करा रही है।’ लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने अपना समर्थन देते हुए कहा, ‘मैं लद्दाख के नागरिकों की ओर से विधेयक का समर्थन करता हूं। जनता इसे केंद्र शासित क्षेत्र बनाना चाहती है। जो आज हो रहा है।’ एआइएडीएमके व शिवसेना की ओर से इसपर अपना समर्थन दिया है।
एमडीएमके नेता वाइको ने राज्य सभा में कहा,’मैं अनुच्छेद 370 का विरोध करता हूं। यह शर्मिंदा होने का दिन है… यह लोकतंत्र की हत्या का दिन है। जेडीयू के केसी त्यागी ने कहा, ‘हमारे प्रमुख नीतीश कुमार जेपी नारायण, राम मनोहर लोहिया व जॉर्ज फर्नांडिस की परंपरा को आगे ले जा रहे हैं। इसलिए पार्टी विधेयक का समर्थन नहीं करती है। हमारी सोच अलग है। हम नहीं चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाया जाए।’ इसपर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने विरोध जताते हुए कहा कि इसके खतरनाक और गंभीर परिणाम होंगे। जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धोखा हुआ। शिवसेना के संजय राउत ने कहा,’आज जम्मू-कश्मीर लिया है। कल बलूचिस्तान, पीओके लेंगे। मुझे विश्वास है देश में प्रधानमंत्री अखंड हिंदुस्तान का सपना पूरा करेंगे।’
गृह मंत्री का बयान-
गृह मंत्री ने कहा, ‘यह पहली बार नहीं, कांग्रेस ने भी 1952 और 1962 में इसी तरह अनुच्छेद 370 को संशोधित किया था इसलिए विरोध के बजाए कृपया मुझे बोलने दें और चर्चा करें, मैं आपके सभी शंकाओं को दूर करूंगा और सभी तरह के सवालों के जवाब दूंगा।’ उन्होंने कहा,’ अनुच्छेद 370 पर ये विधेयक ऐतिहासिक है। इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर का भारत से जुड़ाव नहीं रहा। विपक्ष चाहे तो अनुच्छेद 370 को साधारण बहुमत से पारित करा सकते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ अनुच्छेद 370 के तहत तीन परिवारों ने सालों जम्मू-कश्मीर को लूटा। इसे हटाने में एक सेकेंड की भी देरी नहीं करनी चाहिए। हमें वोट बैंक नहीं बनाना है। भाजपा के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी नहीं, विपक्ष के लोग बेखौफ होकर चर्चा करें।’
संविधान फाड़ने की कोशिश
राज्य सभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने पीडीपी के मिर फयाज और नजीर अहमद को सदन से बाहर जाने को कहा। दोनों ने संविधान फाड़ने की कोशिश की थी।
राज्यसभा में मार्शल बुलाने के आदेश
इस विधेयक पर विरोध दर्शाते हुए पीडीपी सांसदों ने अपने कपड़े फाड़ दिए। वहीं, विरोधी दल के सांसद राज्यसभा में जमीन पर बैठ गए। राज्यसभा अध्यक्ष को सदन में मार्शल बुलाने पड़े।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने गृहमंत्री के बयान से पहले कश्मीर मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं, पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद क्यों कर दिया गया है। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘कश्मीर पर किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार हूं।‘ बता दें कि प्रधानमंत्री कई राज्यों के मुख्यमंत्री से बात करेंगे। 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे।
जम्मू-कश्मीर में ये बदलाव होंगे
जम्मू-कश्मीर व लद्दाख अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा। जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा। कश्मीर में अन्य राज्यों से लोग भी जमीन ले सकेंगे। इसके साथ ही यहां की दोहरी नागरिकता खत्म हो जाएगी।
कश्मीर मुद्दे पर सांसदों का नोटिस
डीएमके सांसद टीआर बालू ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। आरएसपी नेता एनके प्रेमचंद्रन और सीपीआइएम नेता एएम आरिफ ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। लोकसभा में कांग्रेस सांसदों ने बैठक की। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के राज्य सभा सांसद नजीर अहमद लावे ने कश्मीर मामले पर जीरो आवर नोटिस दिया। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल सांसद मनोज झा ने राज्य सभा में नियम 267 के तहत कार्यवाही निलंबित करने का नोटिस दिया। कश्मीर के हालात को लेकर विरोध दर्शाने के लिए पीडीपी के राज्यसभा सांसद नजीर अहमद लावे और मीर मोहम्मद फयाज हाथों पर काली पट्टी बांधकर संसद पहुंचे। सीपीआइ सांसद बिनोय विस्वम ने कश्मीर मुद्दे पर राज्य सभा में नियम 267 के तहत कार्यवाही निरस्त करने का नोटिस दिया है। एआइएमआइएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है। कश्मीर मुद्दे पर राज्य सभा में भी कांग्रेस सांसदों गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, अंबिका सोनी और भुवनेश्वर कालिता ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश और मनीष तिवारी ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।