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Thursday, May 2, 2024

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CBI करेगी मणिपुर वायरल वीडियो मामले की जांच; गृह मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम

मणिपुर हिंसा के बीच हाल ही वायरल हुए एक वीडियो के मामले में गृहमंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। मामले का संज्ञान लेने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी है। साथ ही केंद्र भी सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में हलफनामा दाखिल करेगी। इसमें वह वायरल वीडियो मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराने का अनुरोध करेगा।

इस बीच, सरकारी सूत्रों के हवाले से यह भी सामने आया है कि जिस मोबाइल से वह वायरल वीडियो शूट किया गया था। उसे भी बरामद कर लिया गया है। साथ ही वीडियो शूट करने वाले व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया है कि केंद्र सरकार ने केंद्र ने कुकी और मैतेई समुदायों के सदस्यों के साथ बातचीत की है। प्रत्येक समुदाय के साथ छह दौर की बातचीत हुई है। 

अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्रालय लगातार मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के संपर्क में है। राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए बातचीत अंतिम चरण में है। राज्य में तीन महीने तक चली जातीय हिंसा में करीब 150 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन सामान्य नहीं है। लगभग 35,000 सुरक्षाकर्मी मैदान पर हैं। राज्य में दवा और दैनिक आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। वहां खाद्य और आवश्यक आपूर्ति की कीमतें नियंत्रण में हैं। बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी काम पर लौट रहे हैं और स्कूल भी फिर से शुरू हो रहे हैं।  

पिछले हफ्ते 4 मई की घटना का वीडियो वायरल होने के बाद से देशभर में आक्रोश है और इसकी निंदा हुई। संसद में भी मानसून सत्र की शुरुआत से हंगामा जारी है। भाजपा ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है लेकिन साथ ही वीडियो वायरल करने के समय पर भी सवाल उठाया है। वीडियो 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र से एक दिन पहले वायरल हुआ था।

न्यायिक जांच वाली याचिका सीजेआई के पास
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा और यौन हमले की घटनाओं की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक स्वतंत्र कमेटी से कराने की मांग संबंधी एक याचिका को बृहस्पतिवार को सीजेआई के पास भेज दिया। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता विशाल तिवारी से कहा कि वह अपनी याचिका में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का उल्लेख करें। यह मामला पहले जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाने का उल्लेख था।

विपक्षी गठबंधन के सांसद 29-30 जुलाई को करेंगे मणिपुर का दौरा
जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर की स्थिति के आकलन के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों का एक समूह 29-30 जुलाई को इस पूर्वोत्तर राज्य का दौरा करेगा। लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मनिकम टैगोर ने बताया कि 20 से अधिक विपक्षी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल इस सप्ताह के अंत में मणिपुर का दौरा करेगा और राज्य के मौजूदा हालात का जायजा लेगा।

मणिपुर में जातीय दंगों के लिए सीएम बीरेन सिंह दोषी- सीपीआईएम 
सीपीआईएम ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को राज्य में जातीय हिंसा के लिए दोषी ठहराया है। सीपीआईएम ने गुरुवार को उन पर मैतेई अंधराष्ट्रवाद का आरोप लगाया साथ ही कहा बीरेन सिंह खुलेआम कुकी समुदाय के खिलाफ बोल रहे हैं।
साथ ही यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार ने यह जानने के बावजूद हस्तक्षेप नहीं किया है कि मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन के बीच समझौता हो गया है और वे निष्पक्ष तरीके से कार्य करने में असमर्थ हैं।

मणिपुर में चार मई को क्या हुआ था? 
बता दें कि, यह घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले के गांव बी. फीनोम में हुई। ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, चार मई को शाम लगभग तीन बजे 900-1000 की संख्या में कई संगठनों से जुड़े लोग बी. फीनोम गांव में जबरदस्ती घुस आए। इनके पास एके राइफल्स, एसएल.आर इंसास और 303 राइफल्स जैसे अत्याधुनिक हथियार थे। हिंसक भीड़ ने सभी घरों में तोड़फोड़ की और फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बर्तन, कपड़े, अनाज सहित नकदी को लूटने के बाद सभी चल संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया।  

इसके अलावा पांच ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए जंगल की ओर भाग गए। बाद में उन्हें नॉनपाक सेकमाई पुलिस टीम द्वारा बचाया गया और वे नोंगनोक सेकमाई थाने के रास्ते में थे। इस बीच उन्हें रास्ते में एक भीड़ ने रोक दिया और नोंगपोक सेकमाई थाने से लगभग दो किलोमीटर दूर और 33 एआर सोमरेई चौकी से लगभग तीन किलोमीटर दूर भीड़ ने उन्हें पुलिस टीम की सुरक्षा से छीन लिया। इसके अलावा एक 56 साल के व्यक्ति की घटनास्थल पर ही हत्या कर दी गई। 

प्रधान ने बताया कि इसी दौरान भीड़ द्वारा तीन महिलाओं को उनके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया और भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। घटना से जुड़े वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं, जो रो रही हैं और उनसे छोड़ने की गुहार लगा रही हैं। हैवानियत यहीं सीमित नहीं रही, एक 21 साल की लड़की का दिन दहाड़े बेरहमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। जब 19 वर्षीय छोटे भाई ने अपनी बहन की अस्मिता और जान बचाने की कोशिश की, तो भीड़ में शामिल लोगों ने उसकी मौके पर ही हत्या कर दी। हालांकि, पीड़िता कुछ लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रहीं।

घटना में आरोपियों पर केस किन धाराओं में दर्ज हुआ? 
पहले 18 मई को जीरो एफआईआर और फिर घटना के एक महीने से अधिक समय बाद 21 जून को एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला आईपीसी की धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत दर्ज किया गया। पुलिस द्वारा दर्ज इस एफआईआर में भीड़ में शामिल करीब 1,000 लोगों पर कई आरोप लगाए गए हैं। इसमें विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, घातक हथियार के साथ डकैती करना, आग लगाना, घर में जबरन घुसना, हत्या के लिए अपहरण करना, क्षति पहुंचाना, दुष्कर्म, हमला, गंभीर चोट पहुंचाना और आग्नेयास्त्र का उपयोग करके एक इरादे से हत्या करना।
मामले हुआ ये एक्शन 

इस घटना को लेकर जीरो एफआईआर कांगपोकपी जिले की सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। बाद में इसे थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन को रेफर कर दिया गया। यहां मामला दर्ज होने के करीब एक महीने बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वीडियो सामने आने के तुरंत बाद राज्य सरकार ने वीडियो का स्वत: संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा था कि मणिपुर पुलिस ने कार्रवाई कर पहली गिरफ्तारी की है। मुख्य अपराधी को आज सुबह एक पुलिस ऑपरेशन में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी की पहचान 32 वर्षीय हुइरेम हेरोदास मैतेई के रूप हुई है जो पेची अवांग लीकाई का रहने वाला है। 

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