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Saturday, May 4, 2024

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CJI ने मणिपुर की नग्न परेड को दूसरी घटनाओं से जोड़ने पर महिला वकील को लगाई फटकार

मणिपुर में कुकी महिलाओं की नग्न परेड के मामले की सुनवाई के दौरान आज मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने महिला वकील बांसुरी स्वराज को जमकर फटकार लगाई, जब उन्होंने पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ की घटनाओं का जिक्र करते हुए कोर्ट से मांग की कि जिस तरह से कोर्ट मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड की घटना को गंभीरता से संज्ञान लिया है इसी प्रकार अन्य राज्यों की घटनाओं का भी संज्ञान लिया जाना चाहिए।

बीजेपी नेता और वकील बांसुरी स्वराज ने हस्तक्षेप अर्जी के जरिए यह मांग उठाई थी. उनकी बात सुनकर सीजेआई का पारा चढ़ गया. सीजेआई ने वकील को लगभग डांटते हुए कहा कि ये मामला बिल्कुल अलग है. हम इसे पश्चिम बंगाल या किसी अन्य राज्य की घटना से नहीं जोड़ सकते. मणिपुर में जो कुछ हुआ वह मानवता को शर्मसार करने वाला है. हम मणिपुर की घटना को इस आधार पर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसी घटनाएं अन्य राज्यों में भी हुई हैं। सीजेआई ने कहा कि ये हमारी जिम्मेदारी है कि उन दोनों महिलाओं को न्याय मिले.

मणिपुर मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई और कहा कि आप पीड़ितों को किस तरह की कानूनी सहायता मुहैया करा रहे हैं, हमें बताएं. सीजेआई ने कहा कि वह अन्य बातों के अलावा जानना चाहते हैं कि मणिपुर मामले में अब तक कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हम राज्य में हिंसा प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास पैकेज के बारे में भी जानना चाहेंगे।

सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ मणिपुर की दोनों सरकारों के रवैये से काफी नाराज दिखे. सीजेआई ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल बताएं कि मणिपुर हिंसा में कितनी जीरो एफआईआर दर्ज की गई हैं. सीजेआई ने कहा कि मणिपुर वीडियो में दिख रही महिलाओं को पुलिस ने ही दंगाइयों को सौंप दिया था, जो भयावह है. उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध को भयावह बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट नहीं चाहता कि मणिपुर पुलिस इस मामले को देखे.

सीजेआई ने पूछा कि जब महिलाओं पर अत्याचार हो रहा था तो पुलिस क्या कर रही थी. उन्होंने पूछा कि वीडियो मामले का मामला 24 जून को मजिस्ट्रेट कोर्ट को क्यों भेजा गया था। घटना 4 मई को सामने आई थी, तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे? सीजेआई ने मणिपुर मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त महिला न्यायाधीशों के नेतृत्व में एक समिति बनाने की भी बात कही. हालांकि, इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.

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