आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने नए अध्ययन में दावा किया है कि देश में कोविड-19 की तीसरी लहर आना लगभग तय है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन का प्रभाव दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक दिखने लगेगा। जनवरी के आखिरी हफ्ते और फरवरी की शुरुआत में ओमिक्रोन पीक पर होगा। हालांकि वरिष्ठ वैज्ञानिक का यह भी कहना है कि तीसरी लहर दूसरी लहर की तुलना में कम घातक होगी।
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हिन्दुस्तान की रिपोर्ट में मुताबिक, प्रो. मणींद्र अग्रवाल के अध्ययन में कहा गया है कि तीसरी लहर दूसरी जितनी खतरनाक नहीं होगी। उनके गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर यह निष्कर्ष निकाले गए हैं। इससे पहले प्रो. मणींद्र ने गणितीय मॉडल सूत्र से ही दूसरी लहर के बाद नए म्यूटेंट के आने से तीसरी लहर की आशंका जताई थी। इस महामारी की पहली व दूसरी लहर में अपने गणितीय मॉडल सूत्र के माध्यम से आकलन करने वाले प्रो. अग्रवाल ने दक्षिण अफ्रीका में फैले ओमिक्रोन वेरिएंट पर स्टडी शुरू कर प्रारंभिक जानकारी दी है।
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उनके मुताबिक अब तक जितनी भी केस स्टडी किए गए हैं, उनमें संक्रमण तेजी से फैल रहा है, यह ज्यादा अधिक घातक नहीं मिला है। प्रो. ने कहा कि सितंबर के महीने में ही तीसरी लहर को लेकर जो आकलन किया था, वह सही साबित होता नजर आ रहा है। कई देशों में फैलने के बाद भारत में भी ओमिक्रोन के केस मिलने शुरू हो गए हैं। उन्होंने अपने गणितीय मॉडल सूत्र से ही पहली और दूसरी लहर के दौरान भी स्टडी की थी। उनकी रिपोर्ट काफी हद तक सही साबित हुई।
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प्रो. अग्रवाल के अध्ययन के अनुसार इसका बच्चों पर कम असर देखने को मिलेगा। उनमें लक्षण भी कम नजर आएंगे और जल्दी रिकवरी भी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि ओमिक्रोन से संक्रमित मरीज भी जल्दी रिकवर हो जाएंगे। उनमें सामान्य सर्दी-बुखार जैसे लक्षण होंगे, लेकिन दूसरी लहर के जैसे ज्यादा घातक नहीं होंगे।
प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में इस नए वेरिएंट से बचने के भी उपाय बताए हैं। उनके मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर से बचने का सबसे अच्छा तरीका सावधानी बरतना और टीकाकरण है। जिन लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज या अभी तक पहली डोज नहीं लगवाई वे तुरंत ले। मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का भी सख्ती से पालन करें।