नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने लिंग और रंग भेद को मानवता के खिलाफ अपराध बताया है। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में नेल्सन मंडेला व्याख्यान के 21वें संस्करण में बोलते हुए उन्होंने ये बात कही। इस दौरान मलाला ने अफगानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं पर तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के तहत काले लोगों के साथ किए जाने वाले व्यवहार की तरह ही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए मलाला ने ‘लिंग भेद’ को मानवता के खिलाफ अपराध घोषित करने की भी मांग की।
गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहान्सबर्ग में हर साल नेल्सन मंडेला की पुण्य तिथि पर वार्षिक नेल्सन मंडेला व्याख्यान समारोह का आयोजन किया जाता है। इसमें अंतरराष्ट्रीय विचारक अपने विचार साझा करते हैं। इस कार्यक्रम में नेल्सन मंडेला फाउंडेशन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर नजाबुलो नेडेबेले ने कहा कि इस वर्ष का विषय ‘न्यायसंगत भविष्य के लिए नेतृत्व’ रखा गया है।
यूसुफजई ने अपने संबोधन में कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा और काम के अधिकार से वंचित करके “लैंगिक रंगभेद” को लागू कर रहा है। जिस तरह दक्षिण अफ्रीका में गोरों का मानना था कि अश्वेतों को अलग करना चीजों के प्राकृतिक क्रम में है, उसी तरह अफगानिस्तान में तालिबान का कहना है कि लड़कियों और महिलाओं पर अत्याचार करना धर्म का मामला है। इसे लेकर मेरा कहना है कि यह सच नहीं है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान सहित कई मुस्लिम देशों के विद्वानों ने साफ कर दिया है कि इस्लाम लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा और काम करने के अधिकार से वंचित करने की इजाजत नहीं देता है।
गौरतलब है कि मलाला यूसुफजई को साल 2014 में 17 साल की उम्र में पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए लड़ाई के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।