29 C
Mumbai
Sunday, May 12, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

Prince Harry: राजकुमार की बड़ी जीत फोन हैकिंग केस में; लंदन हाईकोर्ट का आदेश- ₹1.48 करोड़ हर्जाना भरें प्रकाशक

ब्रिटिश टैब्लॉइड प्रकाशक के खिलाफ फोन हैकिंग मुकदमे में प्रिंस हैरी को बड़ी जीत मिली है। लंदन हाईकोर्ट ने प्रकाशकों को निर्देश दिया है कि हैकिंग पीड़ित प्रिंस को 1.40 लाख पाउंड (जीबीपी) हर्जाने के तौर पर दें। इस कानूनी कामयाबी के बाद प्रिंस हैरी ने शुक्रवार को कहा ‘सच्चाई के साथ-साथ जवाबदेही’ के नजरिए से आज का दिन महान है। लंदन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा, प्रिंस हैरी एक ब्रिटिश टैब्लॉइड (समाचार पत्र का प्रकार) की तरफ से की गई फोन हैकिंग के शिकार हुए। अब हर्जाने के तौर पर प्रिंस को 1,40,600 पाउंड मिलेंगे।

किंग चार्ल्स III के छोटे बेटे प्रिंस हैरी लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अमेरिका में रह रहे प्रिंस और उनकी पत्नी मेगन मर्कल निजी जीवन से जुड़े कई मुद्दों के कारण पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में हैं। प्रिंस को ब्रिटिश सिंहासन का पांचवां दावेदार भी माना जाता है, लेकिन शाही खानदान से दूरियों और कुछ अन्य मुद्दों के कारण प्रिंस लगातार मीडिया के कठघरे में हैं। 39 वर्षीय हैरी ने लंदन हाईकोर्ट में जो मुकदमा जीता है, उन्होंने मिरर ग्रुप न्यूजपेपर्स (एमजीएन) के तीन अखबार- द मिरर, द संडे मिरर और द पीपल पर गंभीर आरोप लगाए थे।

न्यायमूर्ति टिमोथी फैनकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 2003 के अंत से अप्रैल 2009 तक हैरी के फोन मामूली रूप से हैक किए गए। हाईकोर्ट ने कहा कि ‘ड्यूक ऑफ ससेक्स’ प्रिंस हैरी के आरोप ‘आंशिक रूप से साबित हुए।’ अदालत में पेश किए गए 33 लेखों में से 15 सही पाए गए। इनके आधार पर फोन हैकिंग के साथ-साथ जानकारी जुटाने के गैरकानूनी तरीके इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि होती है।

जस्टिस फैनकोर्ट ने कहा, प्रिंस से जुड़े जिन लेखों का प्रकाशन हुआ है, उनसे साफ है कि फोन की रिकॉर्डिंग में जो बातें हुई हैं उन्हें हूबहू लिखा गया है। इससे हैकिंग या फोन पर की गई बातों को अनाधिकृत तरीके से सुनने की पुष्टि होती है। उस समय मिरर ग्रुप के भीतर फोन हैकिंग हो रही थी। भले ही मामला करीब 20 साल पुराना है, लेकिन इसके बावजूद ‘फोन हैकिंग एकमात्र पत्रकारिता उपकरण’ नहीं माना जा सकता। लंदन हाईकोर्ट के मुताबिक 18 लेखों के संबंध में प्रिंस के दावों का सटीक विश्लेषण नहीं किया जा सका।

अदालत ने पाया कि एमजीएन में प्रमुख बोर्ड निदेशक, वरिष्ठ अधिकारी और पियर्स मॉर्गन जैसे संपादक स्पष्ट रूप से इन अवैध गतिविधियों (फोन हैकिंग) के बारे में जानते थे या खुद भी इसमें शामिल थे। अदालत के फैसले के बाद प्रिंस हैरी ने कहा, लंदन हाईकोर्ट के आदेश से साफ होता है कि मिरर समूह के तीनों अखबारों में एक दशक से अधिक समय से आदतन और व्यापक गैरकानूनी और आपराधिक गतिविधियां हो रही थीं।

फैसले के बाद प्रिंस के वकील ने उनका बयान पढ़ा। प्रिंस हैरी ने कहा, यह मामला सिर्फ हैकिंग के बारे में नहीं है। यह गैरकानूनी और भयावह व्यवहार की प्रणालीगत प्रथा है। अपराध के बाद दोष छिपाने के प्रययास हुए। सबूतों को नष्ट किया गया।

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »