पेंटागन ने यू-2 जासूसी विमान के कॉकपिट में ली गई एक सेल्फी जारी की है। दरअसल, यू-2 जासूसी विमान ने कथित चीनी स्पाई गुब्बारे को मार गिराए जाने से एक दिन पहले गुब्बारे के उपर से उड़ान भरी थी। उसी समय विमान ने पायलट ने यह सेल्फी ली थी। तीन फरवरी को ली गई इस सेल्फी में गुब्बारे पर विमान की छाया और गुब्बारे का पेलोड साफ दिख रहा है। सेल्फी में पायलट का हेलमेट दिखाई दे रहा है।
अमेरिकी रक्षा विभाग ने सेल्फी में U-2 के पायलट की पहचान नहीं की है। हालांकि पेंटागन की डिप्टी प्रेस सचिव सबरीना सिंह ने बुधवार को ब्रीफिंग के दौरान सेल्फी को प्रमाणिक बताया है। उन्होंने कहा कि अटलांटिक महासागर में गिरे गुब्बारे से सेंसर और अन्य मलबे को बरामद करने के लिए जो अभियान चलाया जा रहा था वह पिछले सप्ताह समाप्त हो गया। अभियान में पेलोड सहित गुब्बारे का मलबा बरामद कर लिया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने हाल ही में कहा था कि बरामद सामग्री अब क्वांटिको में एफबीआई प्रयोगशाला में है। इसमें पेलोड संरचना के साथ कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिक्स भी शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला?
अमेरिका के आसमान में किसी संदिग्ध वस्तु के दिखाई देने की पहली घटना जनवरी के अंत में हुई, जब तीन बस के बराबर का एक चीनी गुब्बारा दिखाई दिया। इस गुब्बारे को अमेरिकी अधिकारियों ने एक चीनी जासूसी गुब्बारा बताया। चीन ने भी माना की यह गुब्बारा उसका है। चीन ने दावा किया कि गुब्बारा मौसम अनुसंधान कर रहा था। हालांकि, चीन ने इसे गलती से अमेरिकी हवाई क्षेत्र में पहुंचने की बात कही।
गुब्बारा अमेरिकी आसमान में कई दिनों तक उड़ता रहा। काफी निगरानी के बाद दक्षिण कैरोलिना तट पर 4 फरवरी को एक F-22 जेट से गुब्बारे को मार गिराया गया। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा कि गुब्बारे का वजन एक टन से अधिक था। यह कई एंटेना से लैस था और इसमें खुफिया जानकारी एकत्र करने में मदद करने वाले सौर पैनल थे।
इन विवादों का दोनों देशों के रिश्तों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
अमेरिका और चीन में कथित जासूसी की घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण कर दिया है। जासूसी गुब्बारा मिलने के बाद ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अपनी चीन यात्रा को रद्द कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने सैन्य जासूसी गुब्बारों का समर्थन करने वाली छह चीनी संस्थाओं को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया। जिन कंपनियों को अमेरिका ने ब्लैकलिस्ट किया, उनका संबंध चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी से बताया जाता है। अमेरिका का कहना है कि चीनी सेना अधिक ऊंचाई वाले गुब्बारों का इस्तेमाल कर खुफिया गतिविधियां कर रही है।