रिपोर्ट-विपिन निगम
न्यूज डेस्क(उत्तर प्रदेश)कन्नौज: कन्नौज शहर में दो साल से बंद पुलिस के कैमराें के पीछे घूसखोरी की बात सामने आई है। रखरखाव के नाम पर एक पुलिस अधिकारी ने कंपनी से 50 फीसदी कमीशन की मांग की थी। कंपनी ने कम पैसे में रखरखाव न होने की बात कहते हुए काम करने से मना कर दिया था। तब कई अन्य कंपनियों से भी पुलिस अधिकारी ने कमीशन के लिए बातचीत की थी। कमीशन सेट न होने के बाद अधिकारी ने कैमरों और उपकरणों को आवास पर रखकर चुप्पी साध ली।
दुकान पर कब्जे को लेकर पांच जुलाई 2015 को शहर में आगजनी और हिंसा हुई थी। शासन के निर्देश पर प्रमुख चौराहों, बाजारों, सार्वजनिक स्थानों पर 22 सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे। 2017 में इन कैमरों ने तकनीकी कारणों से निगरानी करना बंद कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी सुधि नहीं ली। पोलों से सीसीटीवी कैमरे और कलां चौकी में बनाए गए कंट्रोल रूम से डीवीआर, एलईडी और अन्य उपकरण गायब हो गए। जानकारी के बाद एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने सीओ सिटी श्रीकांत प्रजापति, आरआई बृजेश कुमार पाठक, सदर कोतवाल विनोद कुमार मिश्रा और आरआई रेडियो शाखा को जांच सौंपी दी।
इस मामले में सामने आया है कि पुलिस लाइन में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने कैमरों को एक कंपनी के कर्मचारियों से खुलवाया था। कंपनी से इन कैमरों व उपकरणों की मरम्मत कराने के लिए कहा था। पुलिस अधिकारी ने मेंटीनेंस भुगतान का 50 प्रतिशत कमीशन के रूप में मांगा था। इससे कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद अन्य कंपनियों से संपर्क कर डील की कोशिश की गई। कमीशन अधिक मांगने से कोई भी कंपनी मरम्मत करने को तैयार नहीं हुई। इससे पुलिस अधिकारी ने खराब कैमरों और उपकरणों को अपने आवास पर रख लिया। सदर कोतवाल विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि जांच की जा रही है। कुछ स्थानों पर कैमरे लगे हैं। कुछ स्थानों से गायब हो गए। इन्हें जल्द ठीक कराया जाएगा।
पांच लाख की लागत से लगे थे कैमरे
शहर की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए वर्ष 2015 में पुलिस ने कैमरे लगवाए थे। यह कैमरे पांच लाख की लागत से लगाए गए थे। इन्हें कनेक्ट करने के लिए 50-50 हजार रुपये की लागत से अलग-अलग स्थानों पर चार टॉवर भी लगाए गए थे। देखभाल के अभाव में टॉवर भी क्षतिग्रस्त हो गए।