दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उससे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को सरोजिनी नायडू महिला अध्ययन केंद्र के लिए धन जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा है कि जामिया यूजीसी से धन प्राप्त करने के लिए अदालत की ढाल नहीं ले सकता है।
अदालत ने सरोजिनी नायडू महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक के रूप में कार्यरत एक प्रोफेसर द्वारा अपने वेतन के भुगतान की मांग करने वाली एक लंबित याचिका के संबंध में जामिया की ओर से दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए यह मौखिक आदेश पारित किया। जामिया ने यह कहते हुए आवेदन दाखिल किया था कि यूजीसी द्वारा नियमित बजट या ‘भारतीय विश्वविद्यालयों में महिला अध्ययन के विकास’ की योजना के तहत सहायता नहीं देने के कारण प्रोफेसर के वेतन का भुगतान नहीं किया जा सका है।
विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि वह आयोग को अनुदान जारी करने और योजना के तहत छह करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दे। हालांकि, हाईकोर्ट ने सवाल किया कि जब विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार सहित अन्य सभी अधिकारियों को वेतन मिल रहा है तो संबंधित शिक्षक को क्यों नहीं?