राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को भारतीय परंपरा की दुनियाभर में आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा व्यक्तिगत आत्म उद्धार और सभी की भलाई के लिए काम करने की बात करती है, और इसलिए ये आज की दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दुनिया को उम्मीद है कि भारत अपनी इन परंपराओं, विचारों और संस्कारों को बनाए रखेगा, ताकि हम अपने जीवन को बचा सकें और दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश कर सकें।
विचारों को फिर से लागू करने की बात
भागवत ने आगे कहा कि इन विचारों और प्रवृत्तियों को समाज और व्यक्तिगत जीवन में फिर से लागू करना चाहिए, क्योंकि यही हमारे और दुनिया के जीवित रहने का तरीका है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत का यह कर्तव्य है, विशेषकर हिंदू समाज का, और हमें इसे निभाना होगा। बता दें कि भागवत इस समय केरल में दो दिवसीय यात्रा पर हैं। बुधवार को वह पठानमथिट्टा जिले में एक हिंदू धार्मिक सम्मेलन को संबोधित करेंगे और 6 फरवरी को राज्य से लौटेंगे।
तपस्या के कार्य के जश्न की बात
साथ ही, उन्होंने तपस्या के कार्य की 50वीं वर्षगांठ के जश्न की बात की और कहा कि यह कार्यकर्ताओं को इस लक्ष्य की ओर प्रेरित करेगा और इससे हमें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। भागवत ने यह भी कहा कि यदि भारत का बौद्धिक और कलात्मक क्षेत्र इस भावना के साथ काम करता है, तो बहुत कम वर्षों में हमारे समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है।