इलाहाबाद। थाना फूलपुर जमिलाबाद के निवासी मोहम्मद रिजवान पुत्र मोहम्मद शरीफ ने मानवाधिकार आयोग लखनऊ, अल्पसंख्यक आयोग लखनऊ, अपर पुलिस अधीक्षक कानुन व्यवस्था एवं क्षेत्राधिकारी फूलपुर को ज्ञापन के माध्यम से बताया कि 14 जनवरी 12 बजे दिन में समाने खरीदने के लिए कार से बाजार गया था। कार को लोचनगंज में पटरी के नीचे पार्क कर समान खरीदने लगा। सामान खरीद के जब वापस अपनी कार के पास आया तो वहां सिपाहियों के साथ खड़े कस्बा चौकी इंचार्ज प्रभाकर सिंह ने गालियों से बात की शुरुआत करते हुए कहा कि साले ये तेरे बाप की रोड़ है जो गाड़ी यहां खडी कर चला गया था। जिसके बाद मैंने श्रीमान् को गाली न देने का आग्रह किया लेकिन वे नही रूकें क्योंकि वर्दी का धमंड उनपर चढकर बोल रहा था। जब मैने उच्चाधिकारियों से इसकी शिकायत करने की बात कही तो उनका पारा और चढ़ गया एवं गाली देते हुए वें एवं उनके हमराही थप्पड़ और लात घूसों से मेरी पिटाई करने लगे और मुझे उठा कर थाने ले आयें। थाने में लाने के बाद उन्होंने मेरे 15000 रूपयें छीन लिया और मुझे बेवजह लाकअप में बंद कर दिया। गाड़ी में रखा 4500 रूपये आईडी और दो फोटो भी ले लिए। जब यह सूचना मेरे लोगों को मिली तो वें सब लोग थाने आ गये और प्रार्थी को छोडने की गुहार लगाने लगे । लेकिन चौकी इंचार्ज ने एक नही सुनी । काफी मान -मनौव्वल के बाद 50000 रूपया देने के बाद छोडनें की बात कही गई। थकहार कर किसी प्रकार मेरे घरवालों ने 50000 रूपया दिया तब जाकर मुझे इस शर्त पर छोड़ा गया कि अगर किसी से शिकायत किया तो फर्जी केस में फंसा देगें या जान से मारकर फेंक देगें किसी को पता तक नही चलेगा क्योकिं हमें लत्ते को सांप बनाना आता है। क्योकि सबको पता है मेरी पहुंच के कारण ही फूलपुर जैसे कमाऊ थाने में मैने दूबारा तैनाती पाई हैं।
खैर एसआई प्रभाकर का यह पहला मामला नही है। कुछ दिन पहले ही फूलपुर की रहने वाली रूखसाना बेगम पत्नी नफीस अहमद ने उच्चाधिकारियों को पत्र के जरिये बताया था कि कैसे प्रभाकर ने पैसे के लोभ में उनके बेटे को फर्जी केस में फंसा दिया और उनके पति को पूरे पांच दिन तक बिना किसी वजह के थाने में बैठा रखा था। मीडिया में खबर आने के बाद किसी तरह उनको छोडा गया ।
जब इस मामले में एसआई प्रभाकर सिंह से तालमेल एक्सप्रेस के सवांददाता ने बात की तो उन्होंने बताया कि मोहम्मद रिजवान पुत्र मोहम्मद शरीफ प्रतिबन्धित माल की सप्लाई करता है। उसको मैने एवं मेरे हमराहियों ने रंगे हाथ पकड लिया और कानुनी कार्यवाही कर दी । आज भी उसकी अल्टो गाड़ी थाने में सीज है। कार्यवाही के बाद से रिजवान बौखला गया और मेरे खिलाफ जगह जगह पत्र देकर तरह तरह के आरोप लगाने लगा।
सूत्रो के हवाले से पता चला कि अगर निष्पक्ष जांच की जाए तो एसआई प्रभाकर के खिलाफ कई शिकायत पत्र उच्चाधिकारियों के पास पड़े हुए है, मामले में कितनी सच्चाई है वह तो विभागीय जाचं के बाद ही पता चलेगा।