दिल्ली – देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने खिलाफ लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों को ‘अविश्वसनीय’ बताते हुये कहा कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश का हाथ है और वह इन आरोपों का खंडन करने के लिये भी इतना नीचे नहीं गिरेंगे। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अप्रत्याशित सुनवाई की गयी । इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की विशेष पीठ ने करीब 30 मिनट तक की, अदालत ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बहुत ही गंभीर खतरा है और प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ बेशर्मी के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये गये हैं क्योंकि कुछ ‘बड़ी ताकत’ मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को ‘निष्क्रिय’ करना चाहती हैं, सुनवाई करते हुये उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में संयम बरतने और जिम्मेदारी से काम करने का मुद्दा मीडिया के विवेक पर छोड़ दिया ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं हो।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उनके खिलाफ ‘अविश्वसनीय’ आरोप लगाये गये हैं और मैं नहीं समझता कि मुझे इन आरोपों का खंडन करने के लिये भी इतना नीचे उतर कर आना चाहिए। जबकि न्यायाधीश के रूप में 20 साल की नि:स्वार्थ सेवा के बाद यह (आरोप) सामने आया है।’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘मुझे कोई धन के मामले में पकड़ नहीं सकता। लोगों को कुछ और तलाशना था और उन्हें यह मिला है।’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि करीब दो दशक की सेवा के बाद उनके पास भविष्य निधि में करीब 40 लाख रुपये के अलावा बैंक में 6.80 लाख रुपये की ही जमा पूँजी ही है।