रिपोर्ट – अमित सिंह परिहार
इंदौर पुलिस के कर्मचारियों को क्या हो गया है चेकिंग के नाम पर किसी को भी थाने लाकर बिठा दिया जाता है ।
इन्दौर (म.प्र.) – कोई सुनवाई नही कोई ये देखने वाला नही की थाने में कौन क्यो बिठाया गया है वेरिफाई कर तत्काल छोड़ना चाहिए परंतु दूषित मानसिकता के चलते थाने का स्टाफ ,बेगुनाहों को भी थाने में रोक कर उनपर अत्याचार ही करता है कल सिर्फ एक व्यक्ति को पूर्व क्षेत्र के मशहूर थाने में इस लिए बिठा दिया कि उसने जवानों को नकली होने का अंदेशा जाहिर किया जवानों ने अपने असली होने का सबूत उसको घंटो थाने बिठा कर दिया मंत्री महोदय के फोन से उसे छोड़ा गया जवानों को चाहिए वे अगर सिविल ड्रेस में है तो अपना परिचय व परिचय पत्र दिखये न कि इस तरह किसी की स्वतंत्रता का हनन करे ऐसा ही किस्सा दूसरे थाने में होता है एक जवान किसी को लाता है दूसरे पूछताछ करने लगते है तो जवान आपस मे मारपीट कर पिस्तौल तक तान देते है क्या दर्शाता है ये सिर्फ और सिर्फ स्वार्थ सिद्धि दूषित मकसद से किसी को भी थाने लाना उसको परेशान करना व छोड़ने के नाम पर वसूली करना आम बात हो गई है थाना प्रभारी व सीनियर क्यो अनदेखी कर रहे है थाने में ड्यूटी ऑफिसर सिर्फ अपनी ड्यूटी खत्म होने के घंटे गिनते है ।
जवान उन पर हावी है लापरवाही बढ़ रही है एल आई सी के अधिकारी की सरे राह बदमाश हत्या कर देता है उसका क्या कसूर था एक परिवार उजड़ गया हत्यारा पुलिस की पकड़ से दूर है पुलिस ने अपनी व्यावसायिक दक्षता खो दी है निचला स्टाफ दिनभर अर्थ की जोड़तोड़ में लगा रहता है आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है लाख सीनियर कहे पुलिस की उपस्थिति रोडो पर चौराहों पर नही दिखाई देती आचार संहिता के नाम पर ज्यादती करते जवान किसी सीनियर की नज़र में नही आते जब तक थाना स्तर के स्टाफ को कसा नही जाता ऐसी घटनाओं को रोका नही जा सकता ।
इसलिए सीनियरों को थोड़ा परिश्रम करना होगा ।