रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने
ईरान और रूस के बीच वित्तीय लेनदेन के लिए स्विफ़्ट की वैकल्पिक प्रणाली स्थापित करने पर सहमति हो गई है।
विदेश – रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन के विशेष सहायक यूरी ओश्कावोफ़ ने बताया है कि रूस और ईरान ने यह साझा क़दम किसी भी तीसरे देश की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के मुक़ाबले में आपसी आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को सुरक्षित रखने के लिए उठाया है। स्विफ़्ट दुनिया में वित्तीय भुगतान की जानकारी के आदान-प्रदान की सबसे बड़ी प्रणाली है, जिससे डॉलर से संबंधित दुनिया भर के 200 देशों के 11 हज़ार बैंक और वित्तीय संस्थान शामिल हैं।
हलांकि स्विफ़्ट प्रणाली राजनीतिक तौर पर निष्पक्षता का दावा करता रहा है लेकिन अब यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई है कि यह सिस्टम अमेरिका और पश्चिमी देशों की विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की एक चाल बन चुका है।
अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों के दायरे में स्विफ़्ट सिस्टम तक उसकी पहुंच को प्रतिबंधित कर रखा है जबकि तेहरान के विरुद्ध अमेरिका की एकपक्षीय पाबंदियों ने ईरानी बैंकों को वित्तीय संस्थानों के रास्ते में स्विफ़्ट प्रणाली के उपयोग के रास्ते में कई समस्याएं खड़ी कर रखी हैं। यहां तक कि 5 नवंबर 2018 से ईरान के ख़िलाफ़ एकपक्षीय ढंग से अमरिका की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के बाद स्विफ़्ट सिस्टम ने अमेरिकी दबाव के आगे बहुत से ईरानी बैंकों के लिए इस वित्तीय प्रणाली तक पहुंच पर रोक लगी दी है।
स्विफ़्ट द्वारा इस तरह की पक्षपातपूर्ण कार्यवाहियों के बाद ईरान और रूस के अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि आपसी लेनदेन को चुकता करने के लिए स्विफ़्ट पर बिल्कुल भरोसा नहीं किया जा सकता है और इसके मुक़ाबले के लिए एक अन्य विकल्प स्थापित करना होगा। रूस ने वर्ष 2017 के अंत में अमेरिकी प्रतिबंधों से मुक़ाबले के उद्देश्य से स्विफ़्ट जैसे वित्तय सिस्टम के स्थापित करने की ओर संकेत किया था और उसे उसने एसपीएफ़ का नाम भी दिया था।
रसी स्विफ़्ट या एसपीएफ़ ने वर्ष 2018 में काम करना आरंभ किया था और सभी विदेशी बैंकों को इसमें शामिल होने का निमंत्रण भी दिया था और कहा था कि इस सिस्टम में किसी भी देश पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। अब तक रूस की 416 बड़ी कंपनियों ने एसपीएफ़ सिस्टम का प्रयोग शुरू कर दिया है। ईरान ने भी कुछ समय पहले उक्त प्रणाली का लाभ लेने के लिए बैंकिंग संपर्कों को शुरू किया था। उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रणाली में ईरान के शामिल होने से बैंकिंग लेन-देन में आसानी पैदा होगी और ईरानी बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव में कमी भी आएगी।