रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने
19 मई को आम चुनाव संपन्न होने के बाद से ईवीएम को लेकर हंगामा शुरू हो चुका है और इसका कारण यह है कि भारत के कई शहरों में चुनाव के समाप्त होने के एक दिन बाद ईवीएम से भरी गाड़ियां पकड़ी गईं, इसी कड़ी में उधर बीजेपी से कांग्रेस में आये दलित नेता उदित राज का भी SC के खिलाफ बिवादित बयान आया है और यही नहीं बिहार RLSP प्रमुख उपेन्द्र कुशवाह ने भी ईवीएम को लेकर तल्ख बयान दिया है।
दिल्ली – प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में जहां एक ओर ईवीएम को लेकर हंगामा जारी है वहीं इस देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी VVPAT पर्चियों की जांच की याचिका को भी खारिज करते हुए कहा है कि इससे लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचेगा। याचिकाकर्ताओं ने गोवा और उड़ीसा के अलावा ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से सभी ईवीएम का वीवीपीएटी से मिलान करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी वीवीपीएटी (VVPAT) पर्चियों की जांच किए जाने की मांग को लेकर दाख़िल की गई याचिका को ख़ारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में हस्तक्षेप किया गया तो इससे लोकतंत्र को नुक़सान होगा।
इससे पहले मंगलवार 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान को लेकर सुनवाई हुई थी। इस दौरान भारत के विपक्ष दलों द्वारा दाख़िल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। विपक्ष की मांग थी कि 50 प्रतिशत वीवीपीएटी पर्चियों की ईवीएम से मिलान का आदेश चुनाव आयोग को दिया जाए। याचिका को खारिज करते हुए चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने? बता दें 50 फ़ीसदी तक VVPAT पर्चियों के EVM से मिलान की मांग पर भारतीय चुनाव आयोग ने कहा था कि वीवीपीएटी स्लिप काउंटिंग की वर्तमान पद्धति में कोई बदलाव संभव नहीं है। पैनल ने यह भी कहा कि अगर वीवीपीएटी की पर्चियों की गिनती 50 फ़ीसदी बढ़ जाती है तो लोकसभा चुनाव परिणाम 6- 9 दिनों की देरी से आएगा। अपने हलफ़नामे में आयोग ने कहा है कि औसतन, एक मतदान केंद्र की वीवीपीएटी स्लिप काउंट के लिए एक घंटे का समय लगता है, अगर कुल विधानसभा क्षेत्र की संख्या 50% तक बढ़ जाती है तो कम से कम 6 दिन लगेंगे और कुछ विधानसभाक्षेत्रों में 400 से अधिक बूथ हैं तो वहां मतगणना में 9 दिन लग सकते हैं।
दूसरी ओर विपक्षी दलों का आरोप है कि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ईवीएम की गड़बड़ी की शिकायतों और चुनाव के समाप्त हो जाने के बावजूद ट्रकों और गाड़ियों पर ईवीएम देखे जाने पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान की याचिका ख़ारिज किए जाने पर भी विपक्षी दलों में नाराज़गी देखी जा रही है। भारत की कई राजनीतिक हस्तियों, पत्रकारों और टीकाकारों का मानना है कि जिस तरह चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट, वीवीपीएटी की पर्चियों के मिलान को खारिज कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि इससे लोकतंत्र को नुक़सान पहुंचेगा यह बात समझ से बाहर है। इस तरह के सभी लोगों का कहना है कि लोकतंत्र के लिए अच्छा तो यही है कि लोगों के वोटों की सही गिनती हो और हर तरह के प्रश्न एवं संदेह दूर हों चाहे इसमें जितना भी समय लगे, लेकिन प्रश्न और संदेह बाक़ी रहता है तो ऐसी चीज़ें लोकतंत्र के लिए नुक़सान का कारण ज़रूर बनेंगी।