मध्य प्रदेश (मालवा) – प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में श्रावण मास के चलते रोजाना हजारों की तादात में दर्शनार्थी और पर्यटकगणों का इस तीर्थ क्षेत्र में जमावड़ा लगातार लग रहा है ।दूर दराज से आए दर्शनार्थी गण मां नर्मदा मैं स्नान करने और भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने की श्रद्धा के साथ इस तीर्थनगरी में आ रहे हैं। किंतु शासन प्रशासन की लापरवाही का खामिजा यहां आए दर्शनार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय घाटों की दुर्दशा पर तीर्थयात्री आघात महसूस कर रहे हैं। स्थानिय गोमुख घाट केवल राम घाट और गणगौर घाट पर नगर के समस्त गंदे नालों का गंदा पानी खुले आम घाटों पर मां नर्मदा में मिल रहा है।
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तीर्थ यात्री दर्शन और नर्मदा स्नान करने के लिए जब घाटों पर पहुंच रहे हैं ।तो गटर के गंदे पानी और कीचड़ से सनी सड़कों पर पांव रखने से कतरा रहे हैं। किंतु आस्था और श्रद्धा के सामने दर्शनार्थी इतनी गंदगी होने के बावजूद भी मां नर्मदा में स्नान करने को मजबूर हो रहे हैं। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी का खामियाजा तीर्थ में पधारे दर्शनार्थी भुगतने को मजबूर हो रहे हैं एक तरफ प्रशासन मां नर्मदा को प्रदूषण मुक्त रखने का ढिंढोरा पीटते हुए दिखाई देता है वही मां नर्मदा में खुले रुप से मिल रही गंदगी सारे दावे और वादों को दरकिनार करते हुए हकीकत बयान कर रही है।
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बारिश के दिनों में गंदे नाले के उफान आने पर घाटों पर गंदगी फैलने के साथ-साथ घाटों पर प्राचीनतम रखी भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग और हनुमान जी की प्रतिमाओं पर भी नगर का गंदा पानी का झरना गिरने के कारण श्रद्धालु शासन प्रशासन को दिल से कोसते हुए दिखाई दे रहे हैं । वही नगर में करोड़ों रुपए के चल रहे विकास कार्यों के ऊपर भी सवालिया निशान लगाकर प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि आखिर यह करोड़ों रुपए के विकास कार्य करने का क्या औचित्य है जब स्नान करने वाले घाट ही सुरक्षित नहीं है।