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किसी भी व्यक्ति को जिंदा या मुर्दा जलाना क्या घृणित अपराध जैसा कृत नहीं ? क्या शासन/प्रशासन को इससे छूट ? ऊपर वाले के खिलाफ़ कार्यवाही कब ?

-रवि जी. निगम

सामाजिक कार्यकर्ता – संपादक

ठाणे (मुंबई) – जनता के दिलों में उठ रही पीडा और मन में गूंज रहे सवालों के जवाब देश और प्रदेश सरकार को देना उचित नहीं ?

जनता के सवाल –

येे सवाल सायद जनता के अधिकार क्षेत्र में न हो और जनता को सायद इसे पूंछने का अधिकार भी न हो ? क्योंकि ये देश के संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ़ भी हो ? हो सकता है इससे किसी के विशेषाधिकार का हनन होता हो ? या अवमानना हो ? क्योंकि जनता को सिर्फ बस सिर्फ एक मात्र अधिकार है कि वो सिर्फ बस सिर्फ वोट दे सकती है ! उसके अलावा उसे कोई अधिकार नहीं है ? वोट देने के बाद सारे के सारे अधिकार उस सरकार के पास होते हैं जिसे वो वोट देकर चुनते हैं ? और वो सिर्फ बस सिर्फ जनता के लिये ही कानून बनाते हैं संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति विशेष के लिये या शासनिक/प्रशासनिक व्यक्ति के लिये नहीं ?

इसी लिये मेरा भारत महान है ?

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