29 C
Mumbai
Tuesday, May 7, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

क्या दुबई के टावरों पर भी अमरीका जैसा हमला हो सकता है ???

रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने

विदेश – ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इमारात की शासन व्यवस्था पर बैठे लोगों को कुछ समझ में आ गया है जिसकी वजह से वह अपने पिछले दृष्टिकोणों से पीछे हट रहे हैं और उस गठबंधन से पीछा छुड़ा रहे हैं जिसने यमन और लीबिया को तो बर्बाद ही कर दिया और कुछ भी हाथ नहीं लगा।

यूएई पर राज करने वाले अब यह समझ चुके हैं कि यमन के विरुद्ध युद्ध में सऊदी अरब के साथ गठबंधन करके न तो उन्हें कुछ हासिल हुआ और न ही सऊदी अब को कुछ हासिल हुआ, न तो वह यमन पर क़ब्ज़ा कर सके बल्कि यमन में हाथ बढ़ाने की वजह से स्थानीय लोग उनसे ऊब चुके हैं और पूरी शक्ति के साथ उनके मुक़ाबले में डट चुके हैं, संयुक्त अरब इमारात के होटल और हवाई अड्डे सभी यमनी सेना के मीज़ाइलों के निशाने पर हैं। लीबिया में भी संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब के घटक के रूप में ख़लीफ़ा हफ़्तर व्यवहारिक रूप से कोई ख़ास सफलता प्राप्त नहीं कर सके।

दूसरी ओर वह चीज़ जिसने संयुक्त अरब इमारात को हैरान व परेशान कर दिया है वह ईरान के साथ वार्ता पर ट्रम्प का आग्रह और तेहरान के विरुद्ध युद्ध छेड़ने से दूर रहना है। इसीलिए इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए इमारात आगे बढ़ा है और इमारात की इस कार्यवाही से मुहम्मद बिन सलमान बुरी तरह नाराज़ हो गये।

मुझे अपने एक इमाराती पत्रकार दोस्त की कुछ साल पहले की एक बात याद आती है, हमारा यह दोस्त अब भी इमाराती मीडिया में विशेष स्थान रखता है। लगभग चौदह साल पहले मैंने बात बात में अपने दोस्त से पूछा था कि यदि कोई हवाई जहाज़ दुबई के टावर्स से टकरा जाए तो क्या होगा? जैसा अमरीका के मैकहटन में हुआ था? उसने तुरंत जवाब दिया कि हम सौ साल पीछे चले जाएंगे।

यह बात ध्यान योग्य है कि संयुक्त अरब इमारात विशेषकर दुबई इस परिणाम पर पहुंच गया है कि शांति और सुरक्षा इस प्रकार के विकास का कारण बन सकता है और भारत, पूर्वी एशिया तथा कुछ अरब और पश्चिमी देशों के हज़ारों पूंजीनिवेशक आपके हो सकते हैं जो अपनी पूंजी को इस देश में लगा सकते हैं और सिर्फ़ एक छोटा का झटका अबूधाबी को कहां से कहां पहुंचा सकता है और इमारात का क्या हाल होगा।

बहरहाल संयुक्त अरब इमारात के अधिकारी पिछले पचास साल में जिस स्थान पर पहुंचे हैं यमनियों का एक मीज़ाइल ही उन्हें वहीं पहुंचा सकता है। संयुक्त अरब इमारात के अधिकारी सऊदी अधिकारियों से अधिक अपने हितों को दृष्टिगत रखते हैं और उन्हें पता है कि ईरान के साथ अच्छे संबंध, सऊदी अरब के साथ गठबंधन से अधिक लाभदायक होगा। वास्तव में संयुक्त अरब इमारात के अधिकारियों को यह समझ में आ गया कि ईरान और अंसारुल्लाह, अपना रक्षा शक्ति से संपन्न हैं किन्तु सऊदी अधिकारी इस संवेदनशील हालात में इमारात का साथ नहीं दे सकते।

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »