सौ. हाईक
एक अजीबो गरीब मामला प्रकाश में आया कि मुरादाबाद के जसपुर के नसीम ने अपने दोस्त शफी की पत्नी को उस वक्त उधार स्वरूप ले लिया जब वहाँ निकाय का चुनाव होना था, उसने अपने दोस्त की पत्नी को चुनाव लड़ाने के मकसद से उसकी पत्नी उससे उधार ले ली और उसे अपनी पत्नी के रूप में चुनाव लड़वाया, और वो चुनाव जीत भी गई।
लेकिन जब शफी ने अपनी पत्नी अपने दोस्त नसीम से वापस मांगी तो उसने उसे वापस करने से इन्कार कर दिया , अब वो अपनी पत्नी की वापसी के लिये न्यायालय से उसने गुहार लगाई है, लेकिन उन दोनों ने फिलहाल शादी कर ली है।
अब देखना दिलचस्प ये होगा कि न्यायालय किसके पक्ष में फैसला सुनाता है, जबकि गौर करने वाली बात ये है , कि उधार लेते बक्त आपसी रजामन्दी क्या हुई थी और दोनों अपनी – अपनी ओर से क्या साक्ष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
साथ ही इस विषय पर चुनाव अयोग भी जांच कर सकता है , चुनाव के नामांकन के समय वो दोंनों पति पत्नी थे या फिर पति के स्थान पर शफी का नाम अंकित है। यदि वैधता सही नहीं सावित हुई तो उसकी निकाय की सदस्यता भी जा सकती है।