संसार के साठ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में राष्ट्रवाद और एकपक्षवाद के ख़िलाफ़ फ़्रान्सीसी राष्ट्रपति का भाषण, ट्रम्प के गाल पर ज़ोरदार थप्पड़ था।
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति की 100वीं वर्षगांठ के जन्शन में ट्रम्प और मैकरोन की पहली मुलाक़ात ही विस्फोटक रही। हालांकि दोनों को दोस्त समझा जाता है लेकिन इस मुलाक़ात की कड़वाहट सभी ने महसूस की। मैकरोन, अमरीका से किसी हद तक फ़ासला सुरक्षित रखे जाने के पक्षधर हैं और वे जर्मन चांसलर मर्केल व अन्य यूरोपीय नेताओं के साथ इस नतीजे पर पहुंच चुके हैं कि अमरीकाव यूरोप के सहयोग का काल समाप्त होता जा रहा है। इस आधार पर मैकरोन ने एक यूरोपीय सेना के गठन की बात की जो रूस,चीन और शायद अमरीका के मुक़ाबले में अपनी रक्षा कर सके। ट्रम्प ने, जिन्हें लगता था कि यूरोप हमेशा, अमरीका की सेवा में रहेगा, मैकरोन के सामने ही यह जुमला कहा कि उन्हें झटका लगा है क्योंकि अमरीका के घटकों के बीच से ही एक नया प्रतिद्वंद्वी सामने आ रहा है जो उसे अपना दुश्मन समझता है।
ट्रम्प ने पेरिस पहुंचते ही मैकरोन के इस वाक्य पर प्रतिक्रिया दिखाई और सोचा कि पक्षी के पर निकलने से पहले ही उसे काट दिया जाए लेकिन संसार के साठ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में मैकरोन का अर्थपूर्ण भाषणा और राष्ट्रवाद व एकपक्षवाद की आलोचना मानो ट्रम्प के गाल पर ज़ोरदार थप्पड़ था। इससे पहले मर्केल भी राष्ट्रवाद और प्रथम विश्व युद्ध का कारण बनने वाली बातों की ओर से सचेत कर चुकी थीं। मैकरोन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो लोग बहुपक्षवाद के बजाए एकपक्षवाद की राह पर चल रहे हैं वे उस चरमपंथ को हवा दे रहे हैं जिसने पहले और दूसरे विश्व युद्ध की आग भड़काई थी। संयोग से संसार के साठ देशों के नेताओं में से केवल ट्रम्प ने ही पेरिस की बहुपक्षवाद की काॅन्फ़्रेंस में भाग नहीं लिया और मैकरोन व मर्केल की बातों की पुष्टि कर दी।