कोलकता – बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार को विवादित बयान देते हुए कहा कि जो भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, उसे भाजपा शासित राज्यों की तरह गोली मार देनी चाहिए. बंगाल के नाडिया जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘गोली मारने और लाठी चार्ज करने के आदेश नहीं’ देने पर आलोचना की. उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून का विरोध करने वाले द्वारा रेलवे संपत्ति और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को नुकसान पहुंचाने वालों पर गोली चलाने और लाठीचार्ज करने का आदेश देना चाहिए था।
दिलीप घोष की तरफ से सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों पर दिए बयान से बीजेपी ने पल्ला झाड़ लिया है। केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने दिलीप घोष के बयान पर पार्टी की ओर से सफाई देते हुए कहा- दिलीप घोष ने जो कुछ भी कहा है उससे बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है। यह उनकी काल्पनिक सोच है। उत्तर प्रदेश और असम में बीजेपी सरकार कभी भी किसी भी वजह से लोगों को गोली नहीं मारती है। यह दिलीप घोष का बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान है।
न्यूज एजेंसी एएनआई ने अपनी रिपोर्ट में घोष के हवाले से लिखा है, ‘उन्हें क्या लगता है कि वे जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वह उनके पिता की है? सार्वजनिक संपत्ति करदाताओं की है. आप यहां आएंगे, हमारा खाना खाएंगे, यहां रहें और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाएं. क्या यह आपकी जमींदारी है? हम? तुम पर लाठियां चलाएंगे, गोली मारकर तुम्हें जेल में डाल देंगे.’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘दीदी (ममता बनर्जी) की पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया, जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, क्योंकि वे उनके वोटर हैं. यूपी, असम और कर्नाटक में हमारी सरकार ने ऐसे लोगों को कुत्तों की तरह मारा है।’
साथ ही उन्होंने इसे सही करार दिया है. साथ ही बंगाल बीजेपी अध्यक्ष ने राज्य में बंगाली हिंदुओं के हितों को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान करने को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने दावा किया कि भारत में दो करोड़ मुस्लिम घुसपैठिए हैं. उन्होंने कहा, ‘सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही एक करोड़ घुसपैठिए हैं और ममता बनर्जी उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं।’
बता दें, मोदी सरकार ने शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश किया था. दोनों सदनों से इसे पारित करवा लिया गया. राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद प्रस्तावित संशोधन कानून में जोड़ दिए गए. इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने में सहूलियत दी गई है।
साभार ई. खबर