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Monday, May 6, 2024

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बादल बोले – स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू न करना किसानों के साथ विश्वासघात, ये काला कानून किसान को अधिकारविहीन और बेचारा बनायेगा

लखनऊ : पंजाब सरकार के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयेाजित प्रेसवार्ता में कहा कि संसद में बगैर चर्चा और प्रक्रिया अपनाये ही तानाशाही तरीके से तीन कृषि कानून 1.कृषि उपज, व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2.मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसान समझौता 3.आवश्यक वस्तुु संशोधन विधेयक(अनाज, दालें, खाद्य तेल, आलू, प्याज यह अनिवार्य वस्तु नहीं मानी जाएगी।) पारित करने से मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।

खुद को किसान हितैषी बताने वाली मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले किसानों की आय को दुगुना करने का संकल्प लिया था किन्तु 6 साल में भाजपा के शासनकाल में कृषि ग्रोथ जहां 3.1 प्रतिशत है वहीं यूपीए शासनकाल में 4.3 प्रतिशत थी। कृषि आय 14 साल में इस साल सबसे कम है। किसान की उपज का दाम पिछले 18 साल में इस साल सबसे कम आया है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे लेकिन उसे लागू न करके किसानों के साथ विश्वासघात किया है।

उन्होने कहा कि उपरोक्त तीनों नये कृषि कानूनों में एम0एस0सी0 का जिक्र न किये जाने से -सरकारी अनाज मंडिया सब्जी तथा फल मंडिया समाप्त हो जायेंगीं जिसकी वजह से किसान पूंजीपतियों द्वारा तय किये गये मूल्य पर अपने उत्पादित फसल को बेंचने के लिए बाध्य हो जाएगा। अनाज मण्डी, सब्जी व फल मण्डी खत्म करने से कृषि उपज व्यवस्था पूरी तरीके से नष्ट हो जाएगी और पूंजीपतियों को फायदा हेागा।

सीएसीपी(कमीशन फार एग्रीकल्चरल कास्ट एण्ड प्राइसेस) आयोग जो भारत सरकार को कृषि उपज के दाम का निर्धारण करती है उसने सिफारिश की है कि किसानों को इस वर्ष मंहगाई 8.6प्रतिशत हो गयी है इसलिए गेहूं की एमएसपी पर 6.6 प्रतिशत और धान पर 5.9 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की जाए किन्तु अफसोस यह है कि गेहूं में 2.6 प्रतिशत और धान पर 2.9 प्रतिशत बढ़ाया है और संसद में घोषणा किया कि 50 रू0 प्रति कुन्तल बढ़ा दिया। आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि

जिन भी कृषि उपज गेहूं, धान, मक्का, सरसों आदि का एमएसपी पर खरीद होती है इसका रिव्यू किया जाए। इसके साथ ही उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में 5000रू0 प्रति किसान दिया जाए।

उन्होने कहा कि भारत सरकार कुछ किसानों के खाते में 500रू0 प्रतिमाह यानि 6000रूपये वार्षिक देकर डीजल पर जो एक्साइज यूपीए शासनकाल में 3.56 पैसे था उसे बढ़ाकर 40 रूपये कर दिया है जिससे किसानों को सिर्फ डीजल खरीद में 6000रू0 सालाना अधिक देना पड़ रहा है।

उन्होने कहा कि किसानों की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि आज देश में हर घंटे पर एक किसान आत्महत्या करने को विवश है। एक दिन में 24 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। मोदी सरकार जबसे सत्ता में आयी है कार्पोरेट टैक्स लगभग 40 प्रतिशत घटाया है और 6.6 लाख करोड़ रूपये विभिन्न तरीके से माफ किया है। एक्साइज ड्यूटी का जो हिस्सा लगभग 42 प्रतिशत राज्यों का होता है उसे नहीं दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से उच्च प्रीमियम लिया जा रहा है अकेले हरियाणा में बीमा कंपनियों ने किसानों से 10 हजार करोड़ रूपये कमाया है।

उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये इस काले कानून से जहां एक तरफ हमारे देश और प्रदेश के किसान अधिकारविहीन और बेचारा बनकर रह जायेंगे वहीं एक बहुत बड़ा विभाग मंडी परिषद जिसमें लाखों लोग नौकरी से जुड़े हैं और उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है मंडी परिषद और विपणन समितियों का समापन हो जाएगा जिसमें सेवा दे रहे लाखों लाख कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मंडी परिषद की आय से ग्राम स्तर तक जो विकास कार्य हो रहे हैं वह बन्द हो जायेंगे। खरीद फरोख्त करने वाले कार्पोरेट घराने गांव के आंतरिक विकास जैसे लिंक रोड, नाली, खडंजा आदि में रूचि नहीं रखेंगे।

श्री बादल ने कहा कि पीसीएफ जो पीडीएस का अनाज देती है उस पर 6 लाख करोड़ का कर्ज है क्योंकि सरकार ने 6 वर्ष से कोई ग्रान्ट ही नहीं दी है। उन्होने कहा कि एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री पर पहले भी कोई प्रतिबन्ध नहीं था।

श्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि बिहार में किसान को अपनी उपज का 30 प्रतिशत कम दाम मिलता है भाजपा बिहार माॅडल को पूरे देश में लागू करना चाहती है।

उन्होने कहा कि जो नया कानून पारित हुआ है उसमें बिना लाइसेंस व्यापारी कारोबार कर सकता है ऐसे में अगर किसान की उपज का मूल्य समय से न दे अथवा एमएसपी से नीचे खरीद करे तो उस पर कार्यवाही कैसे करेंगे जब सरकार को पता ही नहीं कि कौन खरीद रहा है। अगर कंपनी डूब जाती है या भाग जाती है तो ऐसे समय किसान के उपज का मूल्य का भुगतान की गारंटी कौन करेगा। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार इस नये कानून को मा0 सर्वोच्च न्यायालय में चैलेन्ज करने के लिए तैयार है।

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