रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने
घरेलू अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त पड़ने की वजह से ही रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पहली बार 0.35 प्रतिशत की चौंकाने वाली कटौती की है।
विदेश – प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रही है। प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पहली बार 0.35 प्रतिशत की चौंकाने वाली कटौती करते हुए रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था को अधिक समर्थन की ज़रूरत है, इसलिए मेरा मानना है कि नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की परंपरागत कटौती कम होगी। सामान्य तौर पर भारत का केंद्रीय बैंक चौथाई अथवा आधा फ़ीसदी की कटौती अथवा वृद्धि करता रहा है, लेकिन आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस बार लीक से हटकर यह क़दम उठाया गया। इस बात की जानकारी स्वयं भारत के केंद्रीय बैंक ने दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में जब चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक हुई तब मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में शामिल भारतीय रिज़र्व बैंक गवर्नर के दो साथियों और एक स्वतंत्र सदस्य ने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत कटौती का पक्ष लिया। छह सदस्यीय इस समिति में दो अन्य स्वतंत्र सदस्यों ने 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मत दिया था। मौद्रिक नीति समीक्षा के परिणाम की घोषणा सात अगस्त को की गई। इसमें रेपो दर को 0.35 प्रतिशत घटाकर 5.40 प्रतिशत पर ला दिया गया। बता दें कि, रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिज़र्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को अल्पावधि के लिए नक़दी या कर्ज़ उपलब्ध कराता है। इससे बैंकों की धन की लागत कम होती है, परिणामस्वरूप वह आगे कर्ज़ भी सस्ती दरों पर देने में सक्षम होते हैं।