जमीआते ओलमाए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि बाबरी मस्जिद के संबन्ध में कोर्ट का फैसला समझ से परे है।
अयोध्या – अरशद मदनी का कहना है कि कानून और न्याय की नजर में वहां पर बाबरी मस्जिद थी और वहां क़यामत तक मस्जिद ही रहेगी फिर चाहे उसको कोई भी नाम या स्वरूप क्यों न दे दिया जाए। जमीअते ओलमाए हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने कहा कि कोर्ट के फैसले से एक बात स्पष्ट है कि मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं किया गया और न ही उसका निर्माण किसी मंदिर की जगह पर हुआ।
उन्होंने कहा कि कोर्ट की इस बात से मुसलमानों के दामन पर लगा ये दाग धुल गया जिसमें मंदिर तोड़कर या मंदिर की जगह पर मस्जिद बनाने के आरोप लगते रहे। पुनर्विचार याचिका पर चर्चा करते हुए मदनी ने कहा कि जमीअत ने एक पैनल बनाया है जो वकीलों और शिक्षाविदों से तथ्यों एवं प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगा की पुनर्विचार याचिका दाखिल करना है या नहीं।
मदनी ने कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि एक तरह तो कोर्ट ने यह माना कि मस्जिद के अंदर मूर्ति रखना और फिर उसे तोड़ना गलत था फिर भी कोर्ट ने जमीन उन्हीं लोगों को दे दी जिन्होंने मस्जिद में मूर्ति रखी फिर मस्जिद को तोड़ दिया। कोर्ट द्वारा 5 एकड़ जमीन मुद्दे पर मदनी ने कहा कि मुसलमान कभी भी जमीन का मोहताज नहीं रहा और यह ज़मीन कोर्ट ने सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को दी है। जमीअते ओलमाए हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने कहा कि मेरी सलाह है कि बोर्ड को जमीन नहीं स्वीकार करनी चाहिए।
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अंत मे मदनी ने कहा कि अगर मस्जिद को न तोड़ा गया होता तो क्या कोर्ट ये कहती कि मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाया जाए? उनका कहना था कि हमें इस बात का संतोष हैं कि कोर्ट ने माना कि मस्जिद को मंदिर तोड़कर नहीं बनाया गया लेकिन अफसोस है कि सबूतों और तथ्यों के विपरीत कोर्ट ने पूरी जमीन राम लला को दे दी। मदनी ने कहा कि जब कोर्ट ने मस्जिद तोड़े जाने को अवैध कहा और इसे कानून का उल्लंघन माना तो फिर इस अपराध में शामिल अपराधियों के विरुद्ध रोजाना सुनवाई होनी चाहिए।
साभार पार्सटूडे