36 C
Mumbai
Saturday, April 27, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

राजस्थान कांग्रेस में उठा विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफा देने के बाद से सियासी बबंडर, बेगानी शादी में भाजपा दिवानी..!

जयपुर – राजस्थान कांग्रेस, विधानसभा से सरहदी इलाके बाड़मेर से विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफा देने के बाद उठा सियासी बबंडर थमता नहीं दिख रहा है। चौधरी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने जहां डेमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी है, वहीं भाजपा इस मसले पर गहलोत सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस इसे अपना पारिवारिक मामला बता रही है, जबकि भाजपा के नेता कह रहे है कि गहलोत सरकार के जहाज में छेद हो रहा है और यह जहाज कभी भी डूब सकता है।

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

पायलट समर्थक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनसे फोन पर बात कर उन्हें मनाने की कोशिश की है। डोटासरा ने हेमाराम से फोन पर बात करने के बाद ट्वीट कर जल्द मामला सुलझाने का दावा किया है। डोटासरा ने लिखा कि हेमाराम हमारी पार्टी के वरिष्ठ और सम्मानीय नेता हैं। उनके विधायक पद से इस्तीफे की जानकारी के बाद मेरी उनसे बात हुई है। यह पारिवारिक मामला है, जल्द ही मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा।हेमाराम चौधरी सचिन पायलट खेमे के विधायक हैं। पिछले साल पायलट खेमे की बगावत के समय हुई बाड़ेबंदी में भी वे 19 विधायकों के साथ बाड़ेबंदी में थे।

विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी हेमाराम ने तल्ख तेवर दिखाते हुए सरकार पर उनकी आवाज दबाने और उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास के कामों में भेदभाव का आरोप लगाया था। चौधरी सरकार बनने के बाद से ही असंतुष्ट चल रहे हैं, उनकी जगह हरीश चौधरी को मंत्री बनाया गया था तब से वे नाराज हैं। चौधरी ने 14 फरवरी 2019 को भी इस्तीफा दिया था। उस वक्त विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था और सामने लोकसभा चुनाव होने वाले थे, पार्टी ने उन्हें मना लिया था। 2019 में इस्तीफा सार्वजनिक भी नहीं किया था। इस बार हेमाराम ने इस्तीफे की घोषणा की है।

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

हाल ही मेडिकल में हुई कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भर्ती को लेकर भी हेमाराम नाराज थे। हेमाराम ने गुढ़ामालानी क्षेत्र में सीएचओ लगाने में राय नहीं लेने के साथ गड़बडिय़ों के आरोप लगाए थे। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान चौधरी ने तल्ख तेवर अपनाए थे। पीडब्ल्यूडी की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान हेमाराम चौधरी ने कहा था कि मुझे पता है, मुझे नहीं बोलने देंगे। बोलना बहुत कुछ है। मेरी आवाज को आप यहां दबा सकते हो। यहां नहीं बोलने दोगे, दूसरी जगह बोल देंगे। बोलने का क्या खामियाजा मुझे भुगतना है, यह मैं भुगतने को तैयार हूं। मेरे से कोई दुश्मनी है तो जो सजा दें, भुगतने को तैयार हूं। गुढ़ामालानी की जनता का क्या दोष है, जो नाम के लिए एक सडक़ दी है। होशियारी से सायला गुढ़ामालानी सडक़ मंजूर की। इस सडक़ से गुढ़ामालानी का क्या लेना देना है?बहुमत पर असर नहीं, लेकिन पर्सेप्शन खराबविधानसभा में अभी कांग्रेस के 106 विधायक हैं।

हेमाराम का इस्तीफा मंजूर होने पर यह संख्या 105 हो जाएगी। विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। कांग्रेस सरकार के पास अभी 13 निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम विधायकों का समर्थन है। इस तरह गहलोत सरकार के पास बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा है। हेमाराम के इस्तीफे के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह सिंह डोटासरा और स्पीकर सीपी जोशी पर निगाहें टिकी है। इस मामले में सरकार और संगठन डेमेज कंट्रोल की कवायद करेंगे या नहीं इससे आगे की सिसासत तय होगी। 

मांगें पूरी नहीं करने का सियासी साइड इफेक्टहेमाराम के इस्तीफे को सचिन पायलट खेमे की सुलह कमेटी के सामने रखी गई मांगों को 10 माह बाद भी पूरा नहीं करने से भी जोडक़र देखा जा रहा है। पायलट खेमे के विधायक अपने इलाकों में काम नहीं होने, सरकार में तवज्जो नहीं मिलने की शिकायत करते आए हैं। 14 अप्रैल को सचिन पायलट ने भी कहा था कि सुलह कमेटी के सामने तय हुई बातों को अब पूरा करना चाहिए और अब देरी का कोई कारण नहीं बचता।

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

भाजपा हुई हमलावर
पायलट गुट के असंतुष्ट कांग्रेस विधायक चौधरी के इस्तीफे के बाद सियासत गर्मा गई है। हेमाराम के इस्तीफे के बाद भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। भाजपा ने इसे कांग्रेस सरकार के जहाज में छेद बताते हुए कभी भी डूबने तक की बात कही है। 

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से राज्य में ना कोरोना प्रबंधन संभल रहा और ना कांग्रेस पार्टी। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे से कांग्रेस का अंर्तकलह जनता के सामने आ चुका है, अब अशोक गहलोत इसका दोष किसे देंगे? विधानसभा सत्र के दौरान भी चौधरी अपनी पीड़ा जाहिर कर चुके थे, जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का मुद्दा भी उठाया था, सडक़ों की सीबीआई जांच की मांग भी की थी। कांग्रेस के इस अंदरूनी झगड़े के कारण प्रदेश में विकास कार्य नहीं होने से आमजन परेशान हैं, कर्जमाफी नहीं होने से किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और भर्तियां पूरी नहीं होने से युवा निराश हैं। 

राठौड़ बोले-सरकार के जहाज में सुराख
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस में अधिनायकवाद इतना पनप गया कि 6 बार के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी की लगातार अनदेखी की गई, इसकी वजह से उन्हें मजबूरन अपना इस्तीफा देना पड़ा। सरकार के जहाज के पैंदे में सुराख हो गया है, इस्तीफे के बाद पानी भरना शुरू हो गया है। जहाज कब डूब जाएं पता नहीं। कटारिया बोले-वे शुरु से ही परेशान थेनेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि हेमाराम चौधरी के बार-बार कहने के बावजूद भी जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो उन्होंने इस्तीफा देना ही उचित समझा। वे पहले भी इसके संकेत दे चुके थे। आज उन्होंने वही काम किया है। 

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »