वसई – विरार शहर मनपा एवं पालघर जिले के अंतर्गत आने वाले वसई – विरार मे समयानुसार आबादी के बढ़ने के साथ साथ क्षेत्र मे पत्रकारों की भी संख्या काफी तादाद मे बढ़ी है। जिसमे यह पहचान पाना मुश्किल ही नहीं वल्कि नामुमकिन सा हो गया है , कि असली पत्रकार कौन है, और फर्जी पत्रकार कौन है? क्षेत्र मे जो असली पत्रकार हैं वो तो नियमानुसार अपना कार्य कर रहे है किन्तु फर्जी पत्रकारों से वसई विरार क्षेत्र मे मनपा अधिकारी से लेकर छोटे मोटे धंधे वाले सभी परेशान है। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र मे फर्जी पत्रकार जो की या तो गुंडे मवाली है या फिर छूटभैये बिल्डर है। इन्हें कहीं किसी भ्रष्ट संपादक के अनुकम्पा से “पत्रकार” का पहचान पत्र मिल गया है। वे इसी पहचान पत्र का दुरुपयोग करते हुए वसई – विरार तालुका मे पत्रकारिता की आड़ मे अवैध निर्माण कर व मनपा अधिकारियों को गुमराह कर राजस्व विभाग के करोड़ों रुपए का नुकसान कर रहे हैं। और दूसरे बिल्डरों व छोटे मोटे धंधे वालों से हफ्ता उगाही करते है। ऐसे (फर्जी पत्रकारों) पर समय रहते यदि किसी प्रकार का शासन /प्रशासन द्वारा ठोस फैसला नही लिया गया तो आनेवाले समय मे ये लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के गरिमा को धूल चटाने मे कोई कसर नही छोड़ेंगे। इसलिए शासन प्रशासन को सजग होकर भारत सरकार से मान्यताप्राप्त अखबारों व न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों को पहचान पत्र देना चाहिए , जिससे की असली और फर्जी पत्रकारों की पहचान हो सके और जो अखबार मालिक किसी भी ऐरे गैरे से पैसा लेकर पहचान पत्र दे देते है उन पर भी दंडात्मक कार्यवाई होनी चाहिए जिससे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ धूमिल न हों। इन पत्तलकारों को न तो लिखने पढ़ने आता है, न ही इनके पेपर व न्यूज़ चॅनल का कोई अता-पता होता है ,और न ही इनके संपादकों का पता है। इन्हें सिर्फ और सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना आता है। जिनके कारण क्षेत्र मे असली पत्रकारों पर उंगली उठ रही है। प्रशासन को ऐसे लोगो को बाहर का रास्ता दिखाते हुए उनपर दंडात्मक कार्यवाई करनी चाहिए न की साथ मे मिलकर “चोर चोर मौसेरे भाई” वाली कहावत को चरितार्थ करनी चाहिए । ऐसा निवेदन तत्काल एक्शन समाचार पत्र के माध्यम से जन विकास फाउंडेशन के अध्यक्ष एम के मौर्य ने पालघर पुलिस अधीक्षक और अपर पुलिस अधीक्षक वसई एवं वसई विरार शहर मनपा आयुक्त से किया है ।