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Tuesday, May 7, 2024

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सीएम बन सकते हैं कमलनाथ, सिंधिया के डेप्युटी सीएम बनने की अटकलें जोरों पर। —- रिपोर्ट – राकेश साहू

मध्य प्रदेश में पार्टी को बहुत कम अंतर से जीत मिली है, इसलिए भी कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है, क्योंकि वह सबको साथ लेकर चलने वाले नेता रहे हैं। कमलनाथ को दिग्विजय सिंह का भी समर्थन मिला हुआ है। 

-समर्थकों का दावा, कमलनाथ में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे संभावित सहयोगियों के साथ तालमेल बनाने की क्षमता

-मंगलवार को एक ही कार से कांग्रेस ऑफिस पहुंचे दोनों नेता, बिल्डिंग में प्रवेश के दौरान कमलनाथ के पीछे चल रहे थे सिंधिया

-71 साल के कमलनाथ के पास मुख्यमंत्री बनने का यह हो सकता है आखिरी मौका, राज्य में सिंधिया भी हैं काफी लोकप्रिय नेता 
छिंदवाड़ा के लंबे समय से सांसद और पार्टी के रणनीतिकार कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे हैं। हालांकि, पार्टी की कैंपेन कमेटी के चीफ और गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधियाभी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने मुख्यमंत्री की अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं। अगर मंगलवार को कांग्रेस ऑफिस के बाहर के नजारे की बात करें, तो दोनों के समर्थक अपने-अपने नेता के लिए नारेबाजी की होड़ कर रहे थे।

कमलनाथ के समर्थकों ने हमारे सहयोगी इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस वादे के साथ बनाया था कि पार्टी की जीत हुए तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। कमलनाथ को दिग्विजय सिंह का भी समर्थन मिला हुआ है। मध्य प्रदेश में पार्टी को बहुत कम अंतर से जीत मिली है, इसलिए भी कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है, क्योंकि वह सबको साथ लेकर चलने वाले नेता रहे हैं। वह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे संभावित सहयोगियों के साथ तालमेल बनाने की क्षमता रखते हैं। इतना ही नहीं वह कांग्रेस को एकजुट रखने में भी सक्षम हैं। कुछ सूत्रों ने संकेत दिया कि सिंधिया को उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी संभावना है।

कमलनाथ और सिंधिया दोनों मंगलवार की सुबह एक ही कार से कांग्रेस ऑफिस पहुंचे। वे पूरे दिन बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर रहे और वहां से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ वे चुनावी नतीजों की मॉनिटरिंग करते रहे। जब वे बिल्डिंग में प्रवेश कर रहे थे, तब सिंधिया, कमलनाथ के पीछे चल रहे थे। हालांकि, ऑफिस के बाहर दोनों के समर्थकों के बीच मुकाबले का नजारा था। वे दिन भर अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की नारेबाजी करते रहे। भोपाल में कांग्रेस ऑफिस के समर्थकों ने पोर्च पर कब्जा कर रखा था, जबकि सिंधिया के समर्थक गेट पर थे। उनके हाथों में उनके बड़े कटआउट थे और वे नारे लगा रहे थे कि ‘हमारा मुख्यमंत्री महाराजा’ जैसा हो।

हालांकि, कांग्रेस ऑफिस के गेट पर सोमवार तक सिर्फ कमलनाथ की एक बड़ी तस्वीर लगी थी। इसमें नतीजे आने से पहले कांग्रेस को जीत की बधाई दी गई थी और कमलनाथ सरकार का नारा लिखा था। हालांकि, सोमवार रात और मंगलवार की सुबह के बीच कांग्रेस ऑफिस में सिंधिया के भी कटआउट लग गए और उनके समर्थकों ने वहां डेरा जमा लिया। चुनावी रुझानों में जब कांग्रेस को बढ़त मिली तो वे महाराजा को मुख्यमंत्री बनाने के नारे के साथ पटाखे भी चलाने लगे। हालांकि, शाम को कांग्रेस ऑफिस में कमलनाथ के समर्थकों की संख्या काफी बढ़ गई।

कमलनाथ के पास आखिरी मौका!
71 साल के कमलनाथ का यह शायद मुख्यमंत्री बनने का आखिरी मौका है। वह राज्य से लंबे समय से सांसद रहे हैं। उन्होंने राज्य में जिस तरह से चुनाव प्रचार को हैंडल किया, उसके लिए उनकी तारीफ हो रही है। चुनाव के लिए उन्होंने पैसा भी खर्च किया है, जिसके बगैर बीजेपी से आगे निकलना मुश्किल होता। यह बात सही है कि राज्य में सिंधिया कहीं लोकप्रिय नेता हैं। उनकी रैलियों में अच्छी भीड़ जुटती थी, लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनके सामने ऐसे मौके आगे भी आएंगे।

इन नेताओं ने बताया कि राज्य में कांग्रेस को जैसी जीत मिली है, उस लिहाज से कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के लिए बेहतर उम्मीदवार हैं। क्या सिंधिया की अनदेखी की कीमत 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को चुकानी पड़ेगी, जिनका ग्वालियर क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है? इस सवाल पर एक नेता ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में जीत के लिए सिंधिया को भी इनाम दिया जाएगा।

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