28.1 C
Mumbai
Saturday, May 4, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

सुप्रीम कोर्ट का ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे पर फैसला अफसोसजनक: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आश्चर्यजनक और दुखद है. उम्मीद थी कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ वाली पीठ पूजा स्थलों से संबंधित कानून के आलोक में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाएगी लेकिन अदालत ने इसके विपरीत फैसला दिया जो बेहद दुखद और निराशाजनक है, इससे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुसलमानों को गहरी निराशा हुई है. आशंका है कि अब पूजा स्थलों से जुड़े कानून के उल्लंघन के लिए दरवाजे खुल जायेंगे.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला एकतरफा और पक्षपातपूर्ण था और उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट संबंधित कानून के मद्देनजर इस पर रोक लगाएगा, हालाँकि, ऐसा नहीं हुआ। जिस समय पूजा स्थलों पर कानून लाया गया था, उस समय पूरे देश को यह आश्वासन दिया गया था कि बाबरी मस्जिद विवाद के बाद हर नए विवाद को रोकने के लिए यह कानून लाया जा रहा है। कानून में यह भी साफ तौर पर कहा गया कि पूजा स्थल की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, वही रहेगी, ताकि देश में भाईचारे और शांति-सुरक्षा को कोई खतरा न हो, लेकिन अगर इसी तरह के फैसले आते रहे तो डर है कि यह कानून पूरी तरह निरर्थक हो जायेगा और पूरा देश नये झगड़ों का केन्द्र बन जायेगा।

उन्होंने आगे कहा कि बाबरी मस्जिद स्थल पर पुरातत्व विभाग द्वारा जो सर्वे किया गया था उसमें भी मंदिर के स्तंभों के निशान निकल लिए गए थे, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गयी थी. और कोई सबूत नहीं मिला। जो कुछ छोटी-मोटी चीजें मिली हैं, वे भी बाबरी मस्जिद से चार सौ साल पहले की हैं।

बोर्ड के प्रवक्ता ने आगे कहा कि पहले के सर्वेक्षण में जलाशय के फव्वारे को शिव लिंग बताकर और वहां पहरा बैठा दिया गया था और वुज़ू पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अंदेशा है कि तथाकथित साइंटिफिक सर्वे द्वारा मस्जिद के नीचे कोई मंदिर या फिर अवशेष निकाल लिए जायेंगे और फिर नमाज़ पर भी पाबन्दी लगा दी जाएगी। निचली अदालत बार-बार कह रही हैं कि उद्देश्य मस्जिद की संरचना को नुकसान पहुंचाना नहीं है बल्कि यह जानना है कि मस्जिद के नीचे क्या है। सवाल उठता है कि इसकी जरूरत क्या है? बोर्ड को डर है कि इस फैसले से नए विवादों का रास्ता खुलेगा, हालाँकि इसी को रोकने के लिए संसद ने कानून बनाया था । क्या सुप्रीम कोर्ट कानून के इस अपमान को रोक पायेगा ?

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »