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Saturday, May 4, 2024

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हरिद्वार रुड़की भगवानपुर में 36 अस्पताल सील किये गये, झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान। —-रिपोर्ट- पीके लोधी

हरिद्वार – प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रुड़की और हरिद्वार में 36 अस्पतालों को सील किया गया। रुड़की शहर और देहात में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाया। इस दौरान अलग-अलग जगह आठ अस्पताल और 25 क्लीनिक सील किए गए। सुल्तानपुर में 6, लंढौरा और भगवानपुर में एक-एक अस्पताल सील हुआ। रुड़की में तीन, झबरेड़ा क्षेत्र में पंद्रह, लंढौरा में दो, मंगलौर मेंं पांच क्लीनिक को सील किया गया।

मंगलौर में एक पैथोलॉजी सेंटर और एक मेडिकल स्टोर भी बंद कराया गया। –लंढौरा में एक अस्पताल और दो क्लीनिक सील छापेमारी जेएम के नेतृत्व में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने की कार्रवाई कार्रवाई होते देख पचास से अधिक झोलाछाप डॉक्टर हुए फरार । जेएम नरेंद्र भंडारी के नेतृत्व में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लंढौरा में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया।

कार्रवाई के दौरान एक अस्पताल और दो क्लीनिक सील किए गए। छापेमारी की कार्रवाई होते देख 50 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर अपने अस्पताल और दुकानें बंद कर फरार हो गए। लंढौरा में छह से अधिक प्राइवेट अस्पताल संचालित हो रहे हैं। प्रशासन को शिकायत मिली थी कि हर अस्पताल में धड़ल्ले से डिलीवरी कराई जा रही है। हर डिलीवरी पर पांच से दस हजार रुपये वसूले जाते हैं।

लोगों का कहना है कि अस्पताल संचालकों ने फर्जी एएनएम के कागज बनवा रखे हैं। रविवार को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नरेंद्र भंडारी ने टीम के साथ लंढौरा में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया। जेएम ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय के पास क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टरों से कागजात दिखाने के लिए कहा, लेकिन वह कोई कागजात नहीं दिखा सके।

जिस पर दोनों क्लीनिकों को सील कर दिया गया। इसके बाद रंगमहल के पास स्थित अस्पताल में पहुंच कर जांच पड़ताल की गई। अस्पताल में डिलीवरी के लिए दो बैड और ओटी रूम बना पाया गया। अस्पताल संचालिका को कागजात दिखाने के लिए कहा गया। जिस पर संचालिका एएनएम के कागजात दिखाने लगी। जेएम के निर्देश पर अस्पताल को सील कर दिया गया।

कार्रवाई के दौरान झोलाछाप डॉक्टरों में हड़कंप मचा रहा। 50 से अधिक अस्पताल और क्लीनिक संचालक बाहर लगे बोर्डों को उतार कर दुकानें और अस्पताल बंद कर फरार हो गए। टीम में रुड़की सिविल अस्पताल के डॉक्टर महेश खेतान, लेखपाल संदीप कुमार सैनी, पंकज कुमार और पुलिस बल मौजूद रहा।

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नरेंद्र भंडारी का कहना है कि गड़बड़ी मिलने पर एक अस्पताल और दो क्लीनिकों को सील किया गया है। लंढौरा में छह माह पहले भी हुई थी कार्रवाई लंढौरा में छह माह पहले भी दो अस्पताल और एक क्लीनिक को सील किया गया था। लोगों का कहना है कि पहले भी रंगमहल के पास स्थित अस्पताल और प्राथमिक विद्यालय के पास स्थित क्लीनिक को सील किया गया था।

लोगों का कहना है कि कुछ दिन बाद सील को खोल दिया गया था। भाजपा नेता ने कार्रवाई पर विरोध जताया झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई पर भाजपा नेता मनोज नायक ने विरोध जताया। भाजपा नेता का कहना था कि लंढौरा सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में प्राइवेट डॉक्टर गरीब लोगों को बहुत कम शुल्क पर स्वास्थ्य सुविधा देते हैं।

भाजपा नेता का कहना था कि झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई से पहले सरकारी अस्पताल में सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाए। इस पर जेएम ने कहा कि अस्पताल में सुविधाओं के अभाव के लिए स्थानीय विधायक और शासन से बात करें।

वहीं, जिलाधिकारी के आदेश पर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कस्बे के अस्पतालों और क्लीनिकों पर छापेमारी की। सूचना मिलते ही कई डॉक्टर अपने क्लीनिक बंद कर फरार हो गए।

इस दौरान एक अस्पताल को सील किया गया। रविवार को भगवानपुर में डीएम के आदेश पर एसडीएम दीपेंद्र सिंह नेगी के नेतृत्व में नायब तहसीलदार कुंवर पाल सैनी और स्वास्थ्य विभाग के केन्द्र प्रभारी डॉ. विक्रांत सिरोही ने कस्बे के चल रहे क्लीनिकों पर छापेमारी की। टीम ने कस्बे के एक अस्पताल में जरूरी दस्तावेज नहीं मिलने पर सील कर दिया। स्वयं डॉक्टर होने का दावा कर रहे आठ लोगों तीन दिन का समय देते हुए अभिलेख दिखाने को कहा गया।

एसडीएम दीपेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि एक अस्पताल को सीज किया गया। आठ अन्य लोगों को तीन दिन में दस्तावेज दिखाने को कहा गया है।लाइसेंस नहीं मिलने पर लैब-मेडिकल स्टोर बंद कराया। उधर, प्रशासन की टीम ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया। इस दौरान एक पैथोलॉजी लैब और मेडिकल स्टोर बंद करवाया गया। मौके पर संचालक लाइसेंस नहीं दिखा पाए। एएसडीएम रुड़की प्रेमलाल रविवार को प्रशासनिक टीम के साथ मंगलौर पहुंचे।

यहां से सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र प्रभारी डॉ. पीके सिंह को साथ लेकर छापेमारी अभियान शुरू किया। इस दौरान टीम एक पैथोलॉजी लैब पर पहुंची। टीम ने लाइसेंस दिखाने को कहा, लेकिन संचालक लाइसेंस नहीं दिखा पाया। इसके बाद टीम ने एक मेडिकल स्टोर की जांच की। यहां भी संचालक लाइसेंस नहीं दिखा पाया। टीम ने पांचअ न्य जगहों पर भी छापेमारी की।

यहां झोलाछापों की ओर से उपचार करने की शिकायत मिली थी। लेकिन कोई भी अपना डॉक्टरी का प्रमाण पत्र नहीं दिखा पाया। सभी जगह प्रशासन की टीम ने अपने ताले लगा दिए। संचालकों को लाइसेंस और प्रमाण पत्र दिखाने को कहा गया है। एएसडीएम ने बताया कि प्रशासन की ओर से अपने ताले लगवाए गए हैं। लाइसेंस और अन्य जरूरी कागज दिखाने पर ताले खोल दिए जाएंगे। अभियान के दौरान कानूनगो मंगेश त्यागी आदि मौजूद रहे।

 

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