रिपोर्ट – विवेक मिश्र
1- अवैध निजी चिकित्सालयों का रहनुमा है सीएमओ ऑफिस का माफ़िया बाबू, वैध अवैध के नाम पर करता है बड़ा खेल,अधिकारी भी इसके मायाजाल का शिकार ।
गली गली में परचून की दुकान की तरह खुले नर्सिंग होम आपकी सेहत के साथ कोई भी खिलवाड़ कर सकते हैं, सावधान सोच समझकर व परखकर ही इलाज कराएं। जरूरी नहीं कि यह डॉक्टर साहब का हो या यहां कोई विशेषज्ञ ही हो,यह किसी बहरूपिए का भी हो सकता है जिसे आपकी जिंदगी से ज्यादा रुपये प्यारे हैं, और यह ऐसे ही नहीं है इनका रहनुमा जो सीएमओ ऑफिस में बैठा है इसलिए ये कार्यवाही से बिल्कुल बेफिक्र रहते हैं चूंकि वह अधिकारियों के मैनेजमेंट में बेहद तेज है और पिछले कई स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों का कमाऊपूत भी रहा है।ऐसे सभी अवैध नर्सिंग होम बिना रजिस्ट्रेशन के उसी की छत्रछाया में चलते हैं जिसका बाकायदे महीने का रेट भी बंधा है जिसे उसी बाबू के पास सभी अवैध नर्सिंग होम वाले पहुंचाते हैं,एक नर्सिंग होम संचालक ने बताया कि बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम चलाने पर महंगा महीना देना पड़ता है नहीं तो रजिस्ट्रेशन करा लो तो कम देना पड़ेगा,उसने बताया कि बाबू के पास सभी ब्यवस्था के अलग अलग रेट हैं वह एक रजिस्ट्रेशन कराने का तीस से पचास हजार रुपये तक लेता है और डॉक्टरों की डिग्री मैनेज कराने से लेकर मानकों को पूरा कराने की सारी ब्यवस्थायें उसके पास उपलब्ध हैं ये अलग बात है कि सबके रेट निश्चित हैं और तो और कई निजी चिकित्सालय ऐसे हैं जिनके रजिस्ट्रेशन में लगी डॉक्टरों की डिग्री व पूरा पैनल हूबहू अवैध नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन के साथ इन्ही की कृपा से संलग्न है,चूंकि सीएमओ ऑफिस में यही महाशय निजी नर्सिंग होमो के कर्ता धर्ता हैं तो यह अधिकारियों को भी कागजों के वैध अवैध के खेल में गुमराह कर देते हैं,अभी बीते दिन को ही ले लें एडीएम जे पी गुप्ता,एसडीएम प्रमोद झा सहित पूरी टीम नर्सिंग होमो में छापा मार रहे थे उन्हें बिंदकी बस स्टॉप के समीप स्थित प्रयास हॉस्पिटल में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं मिला जिसे टीम सीज करने जा रही थी लेकिन उन्हें गुमराह कर दिया गया कि इसका रजिस्ट्रेशन के लिए प्रार्थना पत्र पडा है और फिर टीम नोटिस देकर बैरंग लौट आयी। तो क्या कई वर्षों से प्रार्थना पत्र डालकर ही नर्सिंग होम चल रहा था,अगर प्रार्थना पर ही नर्सिंग होम चलाया जा सकता है तो शस्त्र प्रार्थना पत्र के बाद असलहा लेकर भी घूमा जा सकता है।
अब बहुत हो गया साहब नोटिस नोटिस खेलकर जनता को बेवकूफ बनाना छोड़ दीजिए, क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है। लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे लोगों पर सख्त कार्यवाही का समय है सिर्फ अतिक्रमण अभियान से सब नहीं बदलेगा,लोगों की जिंदगी से खेलने वाले ऐसे नर्सिंग होमो का भी अतिक्रमण धराशायी होना चाहिए।हालांकि जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य और शिक्षा में हो रहे खेल को जड़ से खत्म करने का आश्वासन दिया है लेकिन देखने की बात होगी यहां का अतिक्रमण कब धराशायी होगा।
2 – गांजा माफ़िया की गिरफ्त में सरकारी भांग की दुकाने, ख़ाकी की कृपा से जनपद में होती है खुलेआम बिक्री ।
जनपद में भांग की दुकानो का बाकायदा, शराब की दुकानो की तरह ही लाइसेंस जारी होता है जो एक निश्चित समय के लिए वैध होता है और वहां सिर्फ भांग की ही बिक्री की जा सकती है मगर भांग की दुकाने अब सिर्फ नाम की रह गयी हैं असल मे लगभग हर दुकान से गांजा की ही बिक्री की जाती है, गांजा माफियाओं ने इन दुकानों को हाईजैक कर रखा है और ये कोई चोरी छुपे नहीं होता,इसको खाकी का पूरा आंतरिक समर्थन प्राप्त है और सच मे कहें तो कई चौकियों के उपनिरीक्षकों की काली कमाई का यह अहम हिस्सा है।
चूंकि इस गोरखधंधे में बेशुमार अवैध कमाई है इसलिए इसके ठेकेदार किसी को भी आसानी से मैनेज कर लेते हैं,इस खेल में पहले तो जिले में दो ही ठेकेदार हुआ करते थे मगर प्रतिद्वंदिता बढ़ी तो और माफियाओं की धंधे में एंट्री हो गई,सूत्रों की माने तो गाजीपुर थाना क्षेत्र के एक गांव का रहने वाला गांजा माफ़िया ही इसका जनपद में मुख्य कारोबारी था लेकिन उसके सफेदपोश होने के बाद यह अवैध धंधा उसके भाई ने संभाल लिया,हालांकि अब वह सिर्फ एक तहसील का ही कर्ता धर्ता रह गया है दूसरी तहसीलों में बांदा के रहने वाले एक माफ़िया का कब्जा है वहीं शहर क्षेत्र में एक गुरुघंटाल द्वारा इस अवैध कार्य का संचालन कराया जा रहा है।आपको बता दें कि जनपद की हर भांग की दुकान से इसकी बिक्री खाकी की छत्रछाया में होती है कई स्थान तो ऐसे हैं जहां पुलिस के कार्यालयों के समीप उनके नाक के नीचे ही गांजा बिक रहा है जैसे थरियांव थाने के सामने,कोतवाली के पीछे,ज्वालागंज में पुलिस प्वाइंट के समीप,मलवां थाने के समीप,गाजीपुर थाने के बगल में व एस पी आवास के समीप आवास विकास मोड़ पर गांजा खुलेआम बिकता देखा जा सकता है मगर अफसर इस बड़े खेल को जानते हुए भी अंजान बने रहते हैं, वहीं इस नशे की गिरफ्त में आने से नई पीढी चौपट हो रही है,छात्र सिगरेट में इसका प्रयोग करते जगह जगह पर देखे जा सकते हैं वहीं इसके नशे के बाद नवयुवक अपराध की ओर भी मुड़ जाते हैं।अगर शहर क्षेत्र की ही ले लें तो बाकरगंज के लखनऊ बाई पास, आबूनगर के सैय्यदवाड़ा में, कोतवाली के पीछे पीरनपुर में,कचहरी के पटेल नगर में, हरिहरगंज के वर्मा चौराहे के समीप गढीवा में,राधानगर में पुल के नीचे ये हमेशा के अड्डे हैं जहां गांजा वर्ष के बारह महीने मिलता है।जबकि शहर में ऐसी और कई जगहें हैं जहां गांजा की सप्लाई बड़ी मात्रा में की जाती है मगर पुलिस को गांजा न जल्दी से दिखता है और ही न उनके हिसाब से बिकता है।मगर कई चौकी क्षेत्रों में खुलेआम गांजा की बिक्री के बने वीडियो चीख चीखकर ये बयां कर रहे हैं कि गांजे पर पुलिस की कृपादृष्टि किस हद तक है।007vivekmishra☀