नजीराबाद के शातिर अपराधी और प्रमुख सट्टा संचालक आशिक अली को भाजपा में शामिल किये जाने पर उठ रहे हैं सवाल
कानपुर – राजनीति से अपराधियों को अलग थलग करने का दावा करने वाली भाजपा अपराधियों और बाहुबलियों के दम ख़म पर 2019 फतह की तैयारी कर रही है । ताजा मामला भाजपा के सहयोगी संगठन किसान मोर्चा का है, जिसमें आपराधिक इतिहास वालों का बोलबाला बढ़ाया जा रहा है। चुनावों से ठीक पहले पार्टी में उन लोगों को शामिल किया जा रहा है जिनका संगीन आपराधिक इतिहास रहा है।
भाजपा में लाया गया मोहम्मद आशिक हुसैन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसके खिलाफ बेहद संगीन मामलों में तमाम मुक़दमे लंबित हैं। दिलचस्प यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के गुंडाराज को भाजपा सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना कर सत्ता में आयी थी।
अपराधियों और बाहुबलियों की बढती संख्या को लेकर भाजपा नेताओं के अपने तर्क हैं। अपने को किसान मोर्चा का मण्डल अध्यक्ष बताने वाले प्रशान्त दीक्षित कहते हैं कि मुकदमा तो नरेन्द्र भाई मोदी के खिलाफ भी चला था, इससे कोई बात नहीं होती, नेताओं पर उनके धरना प्रदर्शन के दौरान भी सरकारें मुक़दमे लाद देती हैं।
भाजपा के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी ने बताया कि पूर्व सरकारों की गुंडई से अकुताये हुए लोग ही भाजपा में शामिल हो रहे हैं। हालांकि हम भी मानते हैं कि अपराधियों का राजनीति में प्रवेश पूरी तरह से बंद होना चाहिए। अगर कोई अपराधी पार्टी में आ गया है तो उसे तत्काल हटाया जायेगा।
वहीं पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि दरअसल भाजपा प्रदेश की सभी लोक सभाओं में प्रभावशाली लोगों की तलाश कर रही है, जो प्रत्याशी को वोट दिलवाने में समर्थ हों। ऐसे में इस बात से कतई फर्क नहीं पड़ता कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा है कि नहीं, पार्टी में शामिल होने की एकमात्र योग्यता वोट दिलाऊ होना है ।
राजनीति के जानकार बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में पहली बार अपराधी छवि वाले नेताओं को मंत्री बनाने का श्रेय भाजपा को जाता है। भाजपा ने सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने के अलावा दागी विधायकों को मंत्री बनाने में पहल की । 1996-97 में कल्याण सिंह ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले 12 विधायकों को मंत्री पद दिया। 2000 में जब भाजपा फिर से सत्ता में आई तो पार्टी के लगभग 70 विधायकों का आपराधिक रिकॉर्ड था। मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह मंत्रिमंडल में 18 मंत्री अपराधिक रिकॉर्ड वाले थे। ये प्रवृत्ति खतरनाक है और लोकतंत्र के लिये घातक भी।