31 C
Mumbai
Thursday, May 2, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

चुनाव आयोग में दो फाड़ ! एक आयुक्त असहमत, नरेंद्र मोदी को लगातार क्लीन चिट देने पर ।

रिपोर्ट – राकेश साहू

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह द्वारा कथित रूप से आचार संहिता का उल्लंघन करने संबंधी कांग्रेस की नौ शिकायतों पर छह मई तक निर्णय ले ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निर्वाचन आयोग से सातवीं क्लीन चिट मिल गई है. गुजरात के पाटन में 21 अप्रैल को दिए भाषण पर विपक्ष को आपत्ति थी. जिला निर्वाचन अधिकारी और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट पर आयोग को प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण में भी कोई खामी नहीं दिखी।

विपक्षी दल कांग्रेस ने अब तक पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की 11 शिकायतें दर्ज कराई थीं. आयोग उन्हें अनसुना करता रहा तो कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि हुज़ूर आप ही कुछ करें. आयोग तो सुनता ही नहीं. इसके बाद कोर्ट ने आयोग को झाड़ा कि आखिर आयोग अपनी शक्तियों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहा? कोर्ट ने सोमवार तक मोदी-शाह के खिलाफ दर्ज आचार संहिता उल्लंघन की सभी शिकायतों को निपटाने को कहा।

इसके बाद आयोग ने शिकायतों पर अपनी कुंडली ढीली की और दनादन फरमान आने लगे. सब में क्लीन चिट! पिछली सात शिकायतों में स्थानीय चुनाव प्रशासन की भेजी रिपोर्ट विपक्ष की शिकायतों और भाषणों की वीडियो रिकॉर्डिंग वाले सबूतों के बावजूद आयोग को किसी में कोई दम नज़र नहीं आया.
आयोग के सभा भवन से खबरें छन छन कर आने लगीं कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा ।

हालत कुछ कुछ पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त गोपालस्वामी और नवीन चावला के दौर को दोहराते लग रहे हैं. जब दोनों के बीच मतभेद और मनभेद यहां तक गहरा गए थे कि गोपालस्वामी को सरकार से सिफारिश करनी पड़ी कि चावला को सीईसी न बनाया जाए, लेकिन यूपीए सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी।

अब कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि मौजूदा तीन में से एक आयुक्त ने पीएम मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट देने को लेकर शुरू से कभी हां में हां नहीं मिलाई. उनके अलग रुख के बावजूद दो एक के बहुमत से ये आदेश आए हैं।

क्लीन चिट की एक इनसाइड स्टोरी

निर्वाचन आयोग से प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को धड़ाधड़ मिलने वाली क्लीन चिट के पीछे की कहानी धीरे धीरे सामने आ रही है. आयोग के गलियारों में दबी जबान से ये चर्चा गरम है कि क्लीन चिट पूरी तरह क्लीन नहीं है. इसमें एक आयुक्त की असहमति के धब्बे हैं।

आयोग के सूत्र तो एक आयुक्त का नाम ले रहे हैं. लेकिन कोई खुल कर नाम लेने को राजी नहीं है. मोदी-शाह को अब तक आयोग से जितनी क्लीन चिट दी गई है, उन पर एक ही आयुक्त ने सवाल उठाए. आपत्ति उठाने वाले आयुक्त का कहना है कि जब जिला निर्वाचन अधिकारी से लेकर राज्यों के सीईओ तक जैसी बात कह रहे हैं और भेजे गए सबूत भी उसकी ही पुष्टि कर रहे हैं तो क्लीन चिट का सवाल ही नहीं होना चाहिए. लेकिन दो आयुक्तों के बहुमत से फैसला हो जाता है।

ऐसे में सवाल उठाने वाले आयुक्त के तथ्य और दलील सैंडविच की तरह बीच में दब जाते हैं. एक अधिकारी ने तो यहां तक कहा कि क्लीन चिट वाले आदेश अब तक मीडिया के सामने आयोग के लेटरहेड पर भी नहीं आए हैं. अब संविधान के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक भी ये भी कहने लगे हैं कि पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरह ही निर्वाचन आयोग में भी सर्वसम्मत या अलग विचार वाले मसलों का खुलासा होना चाहिए।

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »