रिपोर्ट – रवि जी. निगम / राम प्रकाश निगम
जयपुर – त्रिपोलिया गेट से तीज माता की शाही सवारी निकल. छोटी चौपड़, चौगान स्टेडियम होते हुए तालकटोरा पहुंची, राजस्थान में तीज मनाने का अपना अलग ही अंदाज है। सभी ने इसे हर्षोंउल्लास के साथ मनाया।
ये राजा-महाराजाओं के ज़माने में हाथी-घोड़ों पर बैठ कर अपनी प्रजा के बीच में राज परिवार निकलते थे, और उनके आगे चलती थी तीज माता की सवारी और लोग दर्शन कर माता का आशीर्वाद लिया करते थे।
लेकिन अब वर्तमान में राज परिवार नहीं सिर्फ तीज माता की ही सवारी निकलती है. जयपुर के लोगों के लिए तीज माता की सवारी आस्था का प्रतीक है।
राजस्थान के कालबेलिया और कच्ची घोड़ी जैसे लोक कलाकार के साथ-साथ हाथी, उंट, घोड़ों के साथ बैलगारी और रजवाड़ों के जमाने के सैनिक भी इसकी शान बढ़ाते नजर आये, पिछले कई सौ सालों से चली आ रही।
इसमें महिलायें लहरिया साड़ी पहन कर सावन की तीज पर तीज माता (पार्वती) की पूजा अर्चना करती हैं, और अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं, बहरहाल, सुहगिन औरतें अपनी पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं तो लड़कियां अच्छे सुहाग के लिए इसर (भगवान शिव) की पूजा करती हैं।
इस परंपरा को देखने के लिए खास तौर से बड़ी संख्या में देशी-विदेशी मेहमान भी आते हैं, मेले को देखने के लिए शहर के त्रिपोलिया बाजार से लेकर छोटी चौपड़ तक देशी-विदेशी पर्यटकों का हुजूम उमड़ा, जमकर उठाया लुफ्त ।