रिपोर्ट-अमित सिंह परिहार
मध्यप्रदेश – इसी मुद्दे ने भूत पूर्व मुख्यमंत्री जी के सपने पर पानी फेर दिया था सब जानते है प्रमोशन में आरक्षण के लिए उनके द्वारा जो अड़चने खड़ी की जिससे सामान्य वर्ग उनसे कुपित हो गया और चुनाव नतीज़ों ने साबित किया कि जिस आरक्षित वर्ग के लिए उन्होंने जो किया उस वर्ग ने भी उनको घास नही डाली 95 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर कांग्रेस विजयी हुई उनके बोल बचन कोई माई का लाल उनकी लुटिया डूबा गया माननीय सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी है गेंद फिर राज्य सरकार के पाले में है सामान्य वर्ग को बड़ी उम्मीद थी कि नई चुनी हुई कांग्रेस सरकार उनके प्रमोशन की बाधाएं दूर कर उनको उनका हक देगी अर्थात प्रमोशन देगी परंतु इस सरकार भी इस मामले में टॉय टॉय फिस्स निकली प्रमोशन के कगार पर खड़े सामान्य हो या आरक्षित वर्ग हो दोनों ही सरकार से नाराज़ है ।
राजपत्रित अधिकारी वर्ग इस दायरे से बाहर होने से उनको कोई फर्क नही पड़ रहा वो समय से पदोन्नत हो रहे है उनका हित अहित न होने से वे सही राय सरकार को cm महोदय को नही दे कर अंधेरे में रख रहे है जो प्रमोशन की राह ताक रहा है वो एक बड़ा वर्ग है वो आने वाले लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखता है यह मुद्दा अंदर के अंदर सुलग रहा है भाजपा तो अपनी लुटिया डुबो बैठी कोंग्रेस को अब सावधान हो जाना चाहिए जिस मुद्दे को ये दोनों दल कम आँक रहे है वो मुद्दा अब भारी पड़ने वाला है वक़्त है बदलाव का और मुमकिन है बोलने वाले भाइयो सब कुछ उल्टा पुल्टा होने वाला है ।