सौ. सांकेतिक फाइल चित्र
-रवि जी. निगम
योगी जी आपके राज में क्योंकर लोग असुरक्षित महशूस करने लगे हैं ? क्योंकि पीडिता का आरोप है कि वहाँ पर वो खुदको व परिवार को सुरक्षित महशूस नहीं कर रही है आखिर क्यों ?
कानपुर – कानपुर के कांशीराम हॉस्पीटल में कोरोना का एक नया मामला प्रकाश में आया है, जहाँँ एक युवती दीपा उम्र 21 वर्ष निवासी आशा नगर, नौबस्ता, कानपुर, जो स्वत: नर्स स्टॉफ का कार्य करती है, उसनेे रवि निगम को फोन कर बताया कि उसके पिता को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी, जिसकी वजह से उसने संपर्क सूत्र 1800 पर संपर्क किया जिसके बाद वहाँ से आयी टीम ने उसके पिता श्याम किशोर राठौड उम्र 45 वर्ष के साथ-साथ उसकी मां व उसके भाई-बहनों के साथ उसका भी एंटीजेन परिक्षण किया गया, जिसमें उसकी मां के आलावा सभी की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी जिसके पश्चात सभी को कांशीराम हॉस्पीटल ले जाया गया, जहाँ वो वार्ड नं. 149 में भर्ती है, लेकिन कोविड-19 की दूसरी रिपोर्ट में वो और उसकी बडी बहन पूजा उम्र 22 वर्ष जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आयी है, उसके बाद भी उन दोनों को डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है, ऐसी उसकी शिकायत है, साथ ही उसने बताया कि उसके पिता व उसकी छोटी बहन नेहा उम्र 20 वर्ष और छोटे भाई आशीष उम्र 19 वर्ष को भी माइल्ड कोरोना है, जिसकी वजह से वो वहाँ के डॉक्टरों से आग्रह कर रही है कि उन्हे होम क्वॉरेंटीन में रहने की अनुमति दी जाय अन्यथा वो वहाँ और भी बीमार हो सकते हैं
इतना ही नहीं उसका आरोप है वहाँ पर वो खुदको व परिवार को सुरक्षित महशूस नहीं कर रही है, क्योंकि वार्ड स्टॉफ के साथ-साथ डॉक्टरों का भी वर्ताव उसे ठीक नहीं लग रहा है, वहीं न ही समय पर खाना व दवाई भी नहीं दी जा रही है, तो आखिरकार ऐसा वर्ताव क्योंकर हो रहा है, इसका संज्ञान आखिरकार कौन लेगा ? ये किसकी जिम्मेदारी है ? वहीं जब शिकायतकर्ता खुद होम क्वॉरेंटीन की अनुमति मांग रही है तो उसे क्यों नहीं सुना जा रहा है ? आखिरकार इसके पीछे क्या कारण है ? क्योंकर पीडिता खुदको व परिवार को सुरक्षित महशूस नहीं कर रही है ?
इतना ही नहीं पीडिता ने अपनी रिपोर्ट भी दिखाई, जिस पर उसकी कोरोना की लैब रिपोर्ट में साफ-साफ अंकित है कि वो निगेटिव है, ऐसा क्या चल रहा है कि जिसकी वजह से उसको डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है ?