रिपोर्ट – पप्पू लाल शर्मा
सीकर ( राज.) – मंगलवार को राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री के एक ट्वीट ने कई शिक्षकों की नींद उड़ा दी है। इसका कारण यह है कि अब टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी टेट को प्राथमिक के साथ ग्रेड शिक्षकों के लिए भी करना जरूरी होगा।
दरअसल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई शिक्षा नीति का अंतिम प्रारूप तैयार कर रहा है। इस प्रारूप में राज्य सरकार के कई सुझाव शामिल किए गए हैं। शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर बताया कि अब प्राथमिक शिक्षकों के साथ-साथ ग्रेड शिक्षकों के लिए टेट परीक्षा जरूरी होगी। साथ ही, शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए नीति बनाई जाएगी। वहीं, कुछ सुझावों के शामिल नहीं किए जाने से मंत्री ने नाराजगी भी जाहिर की।
शिक्षक संघों ने जताया विरोध
इधर, इन बदलावों को लेकर शिक्षक संघों ने विरोध दर्ज करना शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक चयन प्रक्रिया में इंटरव्यू और डेमो क्लासेज को शामिल करने की बात कही जा रही है। इससे भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलेगा।
राजस्थान सरकार के माने ये सुझाव
- शिक्षकों को चुनाव के अलावा अन्य गैर शैक्षिक कार्यों में नहीं लगाया जाएगा। यानी बीएलओ ड्यटी पर अब शिक्षक नहीं लगेंगे।
- प्री-प्राइमरी शिक्षा आंगनबाड़ी एवं विद्यालयों के माध्यम से, प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम ही दी जाएगी।
- आरटीई का दायरा जो कि 1 से 14 वर्ष का था, को बढ़ाकर 1 से 18 वर्ष तक किया गया।
- परीक्षा प्राथमिक शिक्षकों के साथ, टेट ग्रेड के शिक्षकों के लिए भी जरूरी होगी।
- नई शिक्षा नीति में शिक्षक स्थानांतरण नीति बनाने की बात की गई है, जिस पर हम पर कार्य कर रहे हैं।
- कक्षा 1 से 12वीं तक शिक्षा का ढांचा 5+3+3+4 (प्री-प्राइमरी से दूसरी तक 5 वर्ष, कक्षा 3 से 5 तक 3 वर्ष, कक्षा 6 से 8 तक 3 वर्ष एवं कक्षा 9 से 12 तक 4 वर्ष के कोर्स डिजाइन होंगे।