त्रिपुरा हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकारी कर्मचारी को बोलने की आज़ादी है।
त्रिपुरा – राजनैतिक रैली में शामिल होने और फ़ेसबुक पोस्ट लिखने के कारण नौकरी से निलंबित की गई एक महिला कर्मचारी का निलंबन खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि त्रिपुरा सिविल सर्विस के तहत प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए सरकारी कर्मचारी को अपने राजनैतिक विचार व्यक्त करने का अधिकार है।
मुख्य न्यायाधीश अक़ील क़ुरैशी ने कहा कि याचिकाकर्ता को एक सरकारी कर्मचारी के रूप में बोलने की आजादी से अछूता नहीं रखा जा सकता है, ये एक मौलिक अधिकार है जिस पर पाबंदी सिर्फ़ क़ानून के आधार पर लगाई जा सकती है।
लिपिका पॉल नाम की याचिकाकर्ता को उनके रिटायरमेंट से चार दिन पहले ही राज्य मछली पालन विभाग ने दिसम्बर 2017 में एक राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लेने और फ़ेसबुक पर राजनीतिक पोस्ट लिखने के कारण निलंबित कर दिया था।
उन पर राजनीतिक रैली में भाग लेने और किसी राजनीतिक नेता के ख़िलाफ़ अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी करके राजनीतिक पार्टी के ख़िलाफ़ प्रचार करने का आरोप लगाया गया था।
साभार पी.टी.