रिपोर्ट- विपिन निगम
टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) के जरिये विदेशों में भेजकर बेटा पैदा कराने की डील करने वाले गिरोह के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। राजधानी में पिछले दो वर्ष से इस गिरोह के 500 से ज्यादा सदस्य खासे सक्रिय थे। महज 2 साल में इस गिरोह ने 6 लाख लोगों से संपर्क स्थापित कर लिया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को मिली शिकायत के आधार पर दिल्ली स्वास्थ्य विभाग, दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय महिला आयोग सहित 14 विभागों की टीम ने सोमवार रात छापेमारी कर इस कॉल सेंटर का खुलासा किया। यह गिरोह आईआईटी पासआउट एक इंजीनियर स्टार्टअप की आड़ में चलाता था। उसका पूरा रैकेट देख सरकारी अफसर और पुलिस भी हैरान हैं।
टीम के अनुसार, ऐलेवूमेन नामक वेबसाइट के जरिये यह गिरोह लोगों के संपर्क में आता था। फोन करने के बाद लोगों को किसी आईवीएफ सेंटर में बुलाकर पूरी डील करता था। पंजीयन के नाम पर 10 हजार रुपये लेने के बाद ये 9 लाख रुपये में दुबई, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देशों में भेजकर आईवीएफ के जरिये दंपती को बेटा पैदा कराने की डील करते थे। इतना ही नहीं, दंपती को ये 15 दिन के लिए विदेश भेज देते थे।
इस अवधि में आईवीएफ की शुरुआती प्रक्रिया होने के बाद मरीज को वापस भारत भेज दिया जाता था। फिर यहां कॉल सेंटर अपने गिरोह में शामिल आईवीएफ सेंटर पर बाकी के 8.5 माह तक उपचार के लिए पंजीयन कराता था। इस गिरोह में दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि देशभर के 100 से ज्यादा आईवीएफ सेंटर शामिल हैं।
छापे के दौरान छूटे अधिकारियों के पसीने
14 विभागों की संयुक्त टीम सोमवार रात दो समूहों में गई थी। एक टीम ईस्ट पटेल नगर तो दूसरी कीर्ति नगर पहुंची। टीम में शामिल अधिकारियों के पसीने उस वक्त छूटे, जब 30/27, तीसरी मंजिल, ईस्ट पटेल नगर में उन्हें कोई कॉल सेंटर ही नहीं मिला।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इसके बाद एक सदस्य से कॉल सेंटर पर फोन कराया गया। वहां आई-103 कीर्ति नगर का पता देकर एक प्रतिनिधि से मीटिंग की जानकारी मिली। टीम उस पते पर पहुंच गई।
कुछ ही देर में यहां एफएस आईवीएफ सेंटर का प्रतिनिधि आया और डील करने लगा। इसी बीच, दूसरी टीम ईस्ट पटेल नगर पहुंची तो वहां ऑफिस नहीं मिला। यह पता ऐलेवूमेन वेबसाइट पर दिया गया था।
जब प्रतिनिधि से पूछा गया तो पता चला कि यह कॉल सेंटर करोल बाग स्थित कोरिया प्लाजा की दूसरी और तीसरी मंजिल पर चल रहा था। यह जानकारी मिलते ही तीसरी टीम को वहां भेजकर कॉल सेंटर को सील किया गया।