यमन संकट को लेकर दिन प्रतिदिन सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है और मतभेद गहरे होते जा रहे हैं।
रियाज़ ने अचानक ही दक्षिणी यमन में संयुक्त अरब इमारात समर्थित ट्रांज़िशनल काउंसिल के ख़िलाफ़ एक बयान जारी कर दिया है।
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इस बयान में ट्रांज़िशनल काउंसिल को सैन्य और राजनीतिक गतिरोध के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
वास्तव में यह बयान सऊदी समर्थित गुटों के लिए यमन में यूएई के हितों पर हमलों के लिए हरी झंडी की तरह से है। सऊदी समर्थन प्राप्त गुटों ने भी इस सिगनल के तुरंत बाद ट्रांज़िशनल काउंसिल के निंयत्रण वाले एक शहर पर हमला करके उस पर क़ब्ज़ा कर लिया।
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टीकाकारों का मानना है कि यमन में सऊदी और इमाराती हितों का टकराव अब उस चरण में पहुंच गया है कि रियाज़ ने अबू-धाबी के ख़िलाफ़ एक प्रकार से खुली लड़ाई का एलान कर दिया है।
हालिया दिनों में दोनों देशों के बीच कुछ ऐसे घटनाक्रम घटे हैं, जिनसे इस टकराव की पुष्टि होती है। रियाज़ ने यूएई से आने-जाने वाली अपनी सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है। दूसरे सऊदी अरब और रूस ने अगस्त से दिसम्बर तक तेल उत्पादन में 20 लाख बैरल तेल की वृद्धि का फ़ैसला किया है, जिसका अबू-धाबी ने जमकर विरोध किया है।
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रियाज़ अपने पहले क़दम से अबू-धाबी को आर्थिक झटका देना चाहता है, क्योंकि यूएई क्षेत्र में ट्रांज़िट का केन्द्र माना जाता है। दूसरे क़दम से दोनों घटक देशों के बीच मतभेदों के गहरा होने का पता चलता है।
दोनों देशों के बीच टकराव को अधिक बढ़ने से रोकने के लिए शनिवार को कुवैत ने कमर कसी है, लेकिन देखना यह है कि हितों के टकराव और अबू-धाबी द्वारा दूसरे देशों के इलाक़ों पर क़ब्ज़े की भूख के सामने कुवैत की बात किस हद तक सुनी जाती है।