सगे भईया वर्तमान सरकार में विधायक हैं तो हमारा भी जलवा कायम रहेगा।
मथुरा समिति मंडी की समस्याओं से जूझ रहे हैं। सभी व्यापारी , अनाज व सब्जी , फलों की मंडी के व्योपारियों सहित किसान व सब्जी विक्रेताओं के सामने समस्याओं का अंबार लगा है।
आवारा पशुओं से निजात दिलाने में मंडी सचिव विफल साबित हुए हैं। जिसकी वजह से अबतक कई दर्जन लोग अपने हाथ पांव गंवा बैठे हैं। पूरी जिंदगी दिव्यांग बन काटने पर मजबूर हो गए हैं।
जबकि करोड़ों रुपया मंडी के सुधारों के लिए मंजूर हुआ था उसमें से कुछ की लागत से सड़क सुधारी गईं लाइटिंग को स्मार्ट करने की कोशिश की गई पर इससे मुख्य समस्याओं में कोई कमी नही आई और कागजों में सरकारी धन को पलीता लगा दिया गया
तमाम सचिवों के बदले जाने के बाद हर बार नया सचिव आता है। तो लगता है इनकी समस्याओं का अंत होगा पर सचिव उनकी सोच पर खरे नही उतर पाते जिसके चलते हरसाल करोड़ों रूपये का नुकसान होता है। जिसकी जिम्मेदारी कोई भी लेने को तैयार नही होता और व्योपारी दहाड़ें मारमारकर रोता विलखता रह जाता है। उस नुकसान के ज़िम्मेदार केवल सिटीमजिस्ट्रेट , मंडी सचिव और संबंधित अधिकारी होते हैं। जबकि मंडी सचिव कोई भी ऐसी रणनीति तैयार नही कर पाते जिससे बरसात के दौरान होने वाले नुकसानों से बचा जा सके
इन्हीं सचिव की मौजूदगी में मंडी में होने वाले हादसों में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
मंडी में आये दिन नई नई नीतियां लागू करते हैं। जिससे परेशान होकर व्योपारियों को सुविधा शुल्क देना सूझता है। जिसे कि मानसिक रूप से होने वाले शोषण से छुटकारा पाया जा सके ।
तमाम दुकान व आढ़त सड़क से काफी नीचे पड़ गई हैं।
जिसके चलते बरसात के दौरान पानी भरने से निजी उपकरणों के साथ ही पानी भरने से माल में कीड़े पड़ जाते हैं।
समिति मंडी की बैंक के इलेट्रॉनिक उपकरण तो बर्बाद हुए ही साथ ही कागजी रिकॉर्ड भी गल गये ।