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Wednesday, March 26, 2025

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इसरो का 100वां मिशन: जीएसएलवी-एफ 15 रॉकेट से सैटेलाइट एनवीएस-02 का लॉन्च काउंटडाउन शुरू

मिशन का विवरण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने ऐतिहासिक 100वें मिशन के लिए काउंटडाउन शुरू कर दिया है। इस मिशन के तहत, जीएसएलवी-एफ 15 रॉकेट के माध्यम से सैटेलाइट एनवीएस-02 को लॉन्च किया जाएगा। यह लॉन्च 29 जनवरी को सुबह 6.23 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा) के दूसरे लॉन्च पैड से किया जाएगा। इस मिशन की सफलता से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर जुड़ जाएगा।

रॉकेट की विशेषताएं
जीएसएलवी-एफ 15 रॉकेट में स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज की तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे अंतरिक्ष में सटीक और मजबूत तरीके से payload भेजने में सक्षम बनाता है। यह रॉकेट भारत के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रतीक है और इसका सफल प्रक्षेपण इसरो की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।

काउंटडाउन और लॉन्च टाइमलाइन
इसरो ने मिशन के लिए 27 घंटे का काउंटडाउन शुरू किया है, जिसे 29 जनवरी को सुबह 6.23 बजे पूरा किया जाएगा। काउंटडाउन के दौरान रॉकेट और सैटेलाइट के सभी सिस्टम्स की जांच और अंतिम परीक्षण किए जाएंगे। इस प्रक्षेपण के बाद, रॉकेट सैटेलाइट एनवीएस-02 को कक्षा में स्थापित करने के लिए रवाना होगा।

नए अध्यक्ष का पहला मिशन
इस लॉन्च के साथ, इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में यह पहला मिशन है। उनका मार्गदर्शन इस प्रक्षेपण की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा, और यह इसरो के भविष्य की दिशा में एक नया अध्याय होगा।

एनवीएस-02 सैटेलाइट का उद्देश्य
एनवीएस-02 सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य भारत के नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को मजबूत करना है। यह सैटेलाइट देश के मैपिंग और नेविगेशन कार्यों को बेहतर बनाने के लिए अहम भूमिका निभाएगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रीय सेवाओं की सटीकता बढ़ेगी।

इसरो की उपलब्धि
यह इसरो की 100वीं मिशन है, जो भारतीय अंतरिक्ष संगठन की लगातार सफलता और प्रौद्योगिकी में हो रही प्रगति को साबित करता है। इस मिशन का सफल प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को और भी सशक्त बनाएगा, और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की क्षमता को प्रदर्शित करेगा।

निष्कर्ष
इसरो का यह 100वां मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण होगा। यह न केवल इसरो की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति को दर्शाता है, बल्कि देश की वैज्ञानिक प्रगति और तकनीकी उन्नति का प्रतीक भी है।

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