दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) की करारी हार के बाद ‘दिल्ली मॉडल’ पर सवाल खड़े हो गए हैं। अरविंद केजरीवाल की यह रणनीति दिल्ली में सत्ता बचाने में नाकाम रही, जिससे अब पार्टी को एक नए ‘जिताऊ मॉडल’ की जरूरत महसूस हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, AAP अब अपने भविष्य के चुनावी दांव के लिए ‘पंजाब मॉडल’ पर फोकस कर सकती है, जहां फिलहाल भगवंत मान सरकार के सामने अपनी पकड़ बनाए रखने की सबसे बड़ी चुनौती है।
पंजाब सरकार को जीत का मंत्र: वादों को जल्द पूरा करने का निर्देश
सूत्रों के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक कर उन्हें जनता की सेवा में पूरी ताकत झोंकने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि वे जल्द से जल्द उन वादों को पूरा करें, जिनके आधार पर पार्टी पंजाब में सत्ता में आई थी। इसका सीधा मतलब है कि पंजाब सरकार जल्द ही महिलाओं को ₹1000 प्रति माह देने की योजना पर अमल कर सकती है।
इस योजना को अन्य राज्यों की कल्याणकारी योजनाओं को देखते हुए और आकर्षक बनाया जा सकता है। इसके अलावा, दलित छात्रों के लिए विशेष योजनाएं, महिलाओं और युवाओं के लिए बेहतर लाभ देने की दिशा में भी तेजी लाई जा सकती है।
कांग्रेस-भाजपा के हमलों से बचने की रणनीति
AAP नेतृत्व इस बात से अवगत है कि दिल्ली की हार के बाद कांग्रेस और भाजपा पंजाब में सरकार पर हमलावर हो सकते हैं। खासकर कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर भगवंत मान सरकार को घेरा जा रहा है। केजरीवाल जानते हैं कि यदि कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से लागू नहीं किया गया तो विपक्ष इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है। इसलिए, पार्टी ने तय किया है कि जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप योजनाओं को अमल में लाया जाएगा।
बदलाव की अफवाहों को नकार रही AAP
AAP नेता संजीव कौशिक ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत में कहा कि पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन या किसी अन्य बड़े बदलाव की अफवाहें बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा, “यह अफवाह कांग्रेस फैला रही है ताकि पंजाब में राजनीतिक बढ़त हासिल कर सके, लेकिन AAP के सभी विधायक और मंत्री एकजुट हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी की राजनीति का मूल मंत्र हमेशा से महिलाओं और बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं देना रहा है। केजरीवाल ने भी बैठक में विधायकों को जनता के करीब जाने का संदेश दिया है।